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औसत से कम बारिश खतरे का संकेत, अब मॉनसून की खेती से आगे निकलना होगा

संताल परगना का इलाका पठारी होने के कारण यहां सिंचाई की समस्या बड़ी है. सिंचाई का संसाधन पर्याप्त नहीं है. सरकार कई सिंचाई परियोजनाओं पर काम कर रही है, लेकिन इस बीच किसानों को वर्षा जल संचयन पर भी जागरूक होने की जरूरत है.

शाउन चक्रवर्ती, कृषि मौसम वैज्ञानिक: पिछले 10 वर्षों के दौरान बारिश औसतन होने से कृषि के क्षेत्र में अपेक्षा के अनुसार काम हुए हैं. उस दौरान कृषि के क्षेत्र में नयी तकनीक का इस्तेमाल भी शुरू हो चुका था, श्री विधि से धान की खेती सहित वैकल्पिक खेती, हाइब्रिड बीज का इस्तेमाल को काफी प्रोत्साहन मिलने से उपज में वृद्धि हुई. देवघर में पिछले 10 वर्षों के दौरान एग्रीकल्चर कॉलेज की स्थापना, कृषि विज्ञान केंद्र का विस्तारीकरण सहित हॉर्टिकल्चर कॉलेज व बागवानी के क्षेत्र में कई कार्य हुए, लेकिन जरूरत के अनुसार किसानों को तकनीकी जानकारियां उस दौरान कम मिल पायी. अब राज्य और केंद्र सरकार किसानों में तकनीकी खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं लेकर आयी हैं, जिससे अगले 10 वर्षों में किसानों की आय को बढ़ाने में काफी कारगर साबित होगा.

संताल परगना जैसे पठारी इलाके में भूमि को उपजाऊ बनाना काफी चुनौतीपूर्ण कार्य है. संताल परगना की मिट्टी अम्लीय है. इस मिट्टी में उर्वरा शक्ति बढ़ाने की काफी आवश्यकता है, जिसके लिए तकनीकी खेती ही असरदार होगी. किसानों को कोई भी फसलों की खेती करने से पहले अपने खेतों की मिट्टी की जांच अवश्य करनी चाहिए. देवघर में कृषि विज्ञान केंद्र सहित देवघर प्रखंड में मिट्टी जांच केंद्र संचालित है. मिट्टी की जांच और उपचार होने के बाद किसान अगर बीज का उपचार कर बिचड़ा डालते हैं, तो पैदावार काफी अच्छी होगी. पिछले 10 वर्षों में सरकार ने कृषि विभाग में कई तकनीकी टीम को तैयार किया है.

प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय तक तकनीकी टीम कार्यालय में कार्यरत हैं. किसानों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किये गये हैं, जिससे किसान तकनीकी जानकारी लेकर खेती कर सकते हैं. कृषि विभाग और भूमि संरक्षण कार्यालय से किसानों को अनुदान पर कई कृषि यंत्र दिए जा रहे हैं, जिससे किसान कम लागत में अपनी खेती कर सकते हैं. कृषि के क्षेत्र में महिलाओं को भी तकनीकी जानकारी देना काफी आवश्यक है, ताकि महिला किसानों की मेहनत के अनुसार उन्हें उनकी आय मिल सके.

बारिश के अभाव में मोटे अनाज की खेती फायदेमंद

संताल परगना में सबसे बड़ी समस्या औसत से काफी कम बारिश होना है. नियमित बारिश नहीं होने से खेती काफी प्रभावित हो रही है. इसके लिए किसानों को अभी से ही तैयार होना होगा, उन्हें औसत से कम बारिश के अनुसार तकनीकी रूप से वैकल्पिक खेती करनी होगी, तभी किसान इस चुनौती का सामना कर पाएंगे. पिछले कुछ वर्षों में मौसम आधारित कृषि भी कृषि क्षेत्र में नयी दिशा देने का काम किया है, जिसमें गर्मी कृषि मौसम सेवा योजना द्वारा मौसम वैज्ञानिक किसान भाइयों को मौसम का पूर्वानुमान संबंधित जानकारी देते हैं, लेकिन जो सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि संताल परगना में पिछले तीन-चार सालों में औसत से कम बारिश हुई है, जिसका सीधा असर खरीफ मौसम की फसलों में पड़ा है. पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन का खराब प्रभाव देखा जा रहा है और संथाल परगना में भी जलवायु परिवर्तन का बहुत असर है.

अगले 10 सालों में कृषि क्षेत्र में मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, मडुआ की खेती की पूरी संभावना है. इजराइल के तर्ज पर कम पानी में भी खेती की तकनीकी का इस्तेमाल करना पड़ेगा. भारत सरकार से पीएम कृषि सिंचाई योजना के तहत बूंद- बूंद सिंचाई के लिए कई प्रावधान किये गये हैं, जिससे कम पानी में पर्याप्त सिंचाई की जा सकती है. संताल परगना में भी किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है, बाकी फसल के साथ-साथ मोटे अनाज की भी खेती करनी चाहिए, क्योंकि मोटे अनाज में पौष्टिक गुणवत्ता बहुत ज्यादा होता है. कम बारिश में भी यह अच्छा पैदावार देती है.

बीज का उपचार कर खेती करें नुकसान की संभावना कम

किसानों को कोई भी फसलों की खेती करने के लिए बीज का उपचार अवश्य करना चाहिए. इसके लिए संबंधित कृषि विभाग के तकनीकी टीम से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. बीच का उपचार कर खेती करने से किसानों को नुकसान नहीं होगा. बीज उपचार से फसलों में बीमारियां होने की संभावना काफी कम हो जाती है. सभी फसलों पर नियमित रूप से छिड़काव भी अनिवार्य रूप से करानी चाहिए. किसानों को तकनीकी खेती के साथ-साथ जैविक खाद का भी ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए. इससे लंबे समय तक मिट्टी की उत्पादन शक्ति बरकरार रहती है. संताल परगना की मिट्टी में तेलहन- दलहन की खेती की भी अपार संभावनाएं हैं ,जिससे किसान अधिक से अधिक मुनाफा भी कमा सकते हैं.

वर्षा जल संचयन एक बड़ा विकल्प

संताल परगना का इलाका पठारी होने के कारण यहां सिंचाई की समस्या बड़ी है. सिंचाई का संसाधन पर्याप्त नहीं है. सरकार कई सिंचाई परियोजनाओं पर काम कर रही है, लेकिन इस बीच किसानों को वर्षा जल संचयन पर भी जागरूक होने की जरूरत है. संताल परगना का इलाका पठारी होने के कारण बरसात का पानी नदी के सहारे बह जाता है. इस बारिश की पानी को रोकना सबसे बड़ी चुनौती है. इसके लिए सरकार की योजनाओं के साथ-साथ किसानों को भी पूरी तरह से जागरूक होने की जरूरत है. कृषि विभाग भूमि संरक्षण सिंचाई विभाग सहित मनरेगा से भी वर्षा जल संचयन की कई योजनाएं चल रही है. मनरेगा से ट्रेंच कटिंग सहित कई जल संचयन की योजनाएं चल रही है. किसानों को अपने खेतों में पानी रोकने के लिए इस योजनाओं के प्रति जागरूक होगा होगा, तभी मिट्टी में नमी रहेगी और मौसम के अनुसार खेती हो पाएगी.

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