मधुपुर : शहर समेत ग्रामीण अंचलों में मकर संक्रांति पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया. सुबह लोगों नदी, तालाब आदि जलाशयों में स्नान कर दान पूण्य करते हुए पूजा अर्चना की. बताया जाता है कि पौस मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तब मकर संक्रांति मनाया जाता है. लोगों ने स्नान कर तिल व तिल से बने चीजों के दान के साथ खिचड़ी का भी दान किया.
लोग एक दुसरे को तिल, गुड आदि देकर पर्व को मनाया. पर्व को लेकर पाथरोल काली मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही. लोग सुबह से ही मंदिर पहुंचे और पूजा अर्चना किया. इसके बाद घरों में दही-चूड़ा, तिलकुट, तिल के लड्डू खाये. मकर संक्रांति के दिन ही सूय उतरायण की ओर गति करता है. इसलिए इस पर्व को उत्तरायणी भी कहते है. मकर संक्रांति का अभिप्राय मकर राशी से है और संक्रांति का अभिप्राय परिवर्तन से है. जब सूर्य एक राशी से दुसरे राशी में प्रवेश करता है तब मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. हिंदु शास्त्र में इसका विशेष महत्व है. कई जगह मकर संक्रांति को पोंगल के नाम से मनाते है. यह दान पर्व के रूप में मनाया जाता है.