देवघर: राजमहल लोकसभा सीट पर दबदबा तो कांग्रेस और झामुमो का रहा है. 2009 के चुनाव में भाजपा के देवीधन बेसरा चुनाव जीते. जबकि राजमहल सीट पर अब तक भाजपा दो बार ही जीत पायी है. इस सीट पर झामुमो-कांग्रेस-भाजपा के बीच कड़ी टक्कर होती रही है.
अब तक रुझान को देखें तो राजमहल लोकसभा सीट पर चार बार कांग्रेस, तीन बार झामुमो और एक बार बीएलडी के उम्मीदवार जीते हैं. आदिवासी बहुल इलाका है राजमहल. इसलिए अब तक जितने भी उम्मीदवार यहां से चुनाव जीते हैं सभी ट्राइबल कम्यूनिटी से आते हैं. 1977 से लेकर अब तक चुनाव के आंकड़े को देखें तो भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ता-घटता रहा है. वहीं कांग्रेस व झामुमो के वोटों में उतार-चढ़ाव हुआ है. इस इलाके में झामुमो और कांग्रेस मजबूत स्थिति में रही है.
छह में से एक विधानसभा सीट पर हैं भाजपा के विधायक
इस संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की छह सीटें हैं. जिसमें सिर्फ एक विधायक ही भाजपा से हैं. वे राजमहल से चुनाव जीते हैं. भाजपा ने संसदीय सीट भले ही जीता है लेकिन छह में पांच विधानसभा सीट पर दूसरे दलों का कब्जा है. इसमें से चार विधानसभा सीटों पर झामुमो का कब्जा है. इनमें बोरियो से लोबिन हेम्ब्रम-झामुमो, बरहेट से हेमलाल मुमरू झामुमो, पाकुड़ से अकील अख्तर-झामुमो, लिट्टीपाड़ा से साइमन मरांडी(झामुमो), महेशपुर से मिस्री सोरेन-झाविमो चुनाव जीते हैं. इस सीट पर कांग्रेस के प्रदर्शन की बात करें तो कांग्रेस का गढ़ भी रहा है राजमहल लोकसभा सीट, लेकिन एक भी विधायक तक कांग्रेस का चुनाव नहीं जीता. इस तरह आने वाले चुनाव में भी भाजपा और झामुमो के बीच ही टक्कर के संकेत दिख रहे हैं.
घटता रहा है जीतने वाले उम्मीदवारों के वोटों का प्रतिशत
इस लोकसभा चुनाव की खासियत यह रही है कि 1977 के चुनाव में जहां जीतने वाले उम्मीदवार को 68.15} वोट मिला था, वहीं 1991 और उसके बाद के चुनाव में 45 फीसदी वोट अधिक किसी भी जीतने वाले उम्मीदवार को नहीं मिला. 1977 से अब तक के चुनाव में जीतने वाले उम्मीदवारों की बात करें तो 2009 के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार देवीधन बेसरा ने मात्र 26.12 फीसदी वोट लाकर चुनाव जीता. इससे पहले 2004 के चुनाव में झामुमो के हेमलाल मुमरू को 32.76 फीसदी वोट मिला था. कांग्रेस के थॉमस हांसदा को 1996 के चुनाव में 45.22 फीसदी वोट मिला था.