मधुपुर: प्रखंड क्षेत्र में अब तक कहीं भी सरकारी स्तर पर धान क्रय केंद्र नहीं खोला गया है. जिसके कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. जरूरतमंद किसान कम दाम में व्यापरियों के पास धान बेचने को मजबूर है. घर की जरूरतों को पूरी करने के लिए किसानों के पास कोई विकल्प भी […]
मधुपुर: प्रखंड क्षेत्र में अब तक कहीं भी सरकारी स्तर पर धान क्रय केंद्र नहीं खोला गया है. जिसके कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. जरूरतमंद किसान कम दाम में व्यापरियों के पास धान बेचने को मजबूर है. घर की जरूरतों को पूरी करने के लिए किसानों के पास कोई विकल्प भी नहीं है. वहीं नोटबंदी का भी असर देखने को मिल रहा है. जिसके कारण बाजार में भी धान का मूल्य उचित नहीं मिल रहा है. बाताया जाता है कि इस साल प्रति क्विंटल 1600 रूपया मूल्य किसानो के लिए निर्धारित किया गया है. इनमें 1470 रूपया सरकारी दर व 130 रूपया बोनस शामिल है.
लेकिन किसान खुले बाजार में 930 से 1070 रूपया प्रति क्विंटल धान बेच कर अपना रोजमर्रा का काम कर रहे है.बताया जाता है कि इस बार सरकारी स्तर पर धान खरीदारी का प्रक्रिया भी काफी जटील बना दी गयी है. इन प्रक्रिया को पूरी करने में किसान को महीना भर का समय लग सकता है.
इसके बाद ही वे सरकार को धान बेच पायेंगे. बताया जाता है कि धान बेचने वाले किसानो को सबसे पहले एक फार्म भर कर सहकारिता विभाग में जमा करना होगा. इसके बाद उसी आधार पर अंचल से जमीन का सत्यापन होने के बाद उस प्रक्रिया को आगे बढाते हुए जिला भेजा जायेगा.
इसके बाद किसानो को कॉड जारी करते हुए धान लेने की तिथि बतायी जायेगी. जिसमें काफी लंबा वक्त लग जायेगा. गौनेया के किसान विष्णु दास, चरपा के मेघनाथ दास, भेडवा के पंचम यादव, लालगढ के मो मोइन मियां, रतुबहियार के नरेश वर्मा, साप्तर के बद्री वर्मा आदि किसानों का कहना है कि सरकारी स्तर पर धान की खरीदारी नहीं होने से वे काफी निराश हैं. धान बेचने के लिए पंजीकृत कराने, जमीन सत्यापन जैसे अनेक जटिल प्रक्रिया है. इस कारण वे लोग औने-पौने दाम पर धान बेचने को मजबूर हैं.