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नोट बंदी से दवा दुकानदारों में असमंजस, मरीजों को परेशानी

देवघर. नोट बंदी के बाद सबसे अधिक दिक्कत मरीजों को होने की सूचना मिल रही है. क्योंकि दवा दुकानदार 500-1000 के नोट को लेकर असमंजस में हैं कि उनका नोट बैंक लेगा या नहीं. मरीज जिन्हें सरकारी अस्पताल या प्राइवेट अस्पतालों में दवा नहीं मिल पाती है. डॉक्टर बाहर की दवा लिखते हैं तो उसे […]

देवघर. नोट बंदी के बाद सबसे अधिक दिक्कत मरीजों को होने की सूचना मिल रही है. क्योंकि दवा दुकानदार 500-1000 के नोट को लेकर असमंजस में हैं कि उनका नोट बैंक लेगा या नहीं. मरीज जिन्हें सरकारी अस्पताल या प्राइवेट अस्पतालों में दवा नहीं मिल पाती है.
डॉक्टर बाहर की दवा लिखते हैं तो उसे खरीदने में दवा दुकानों में इन दिनों काफी परेशानी हो रही है. क्योंकि दवा दुकानदार 500 या 1000 का नोट नहीं ले रहे हैं. जबकि केंद्र सरकार ने पहले घोषणा की थी कि सरकारी अस्पताल और दवा दुकानें यह राशि ग्रहण कर सकती है. 11 की आधी रात तक दुकानदार ले भी रहे थे. उसके बाद फिर सरकार ने समय सीमा बढ़ा दी. 14 तक 500 व 1000 की राशि दवा दुकानें ले सकेंगी या नहीं यह स्पष्ट नहीं किया गया है.

इसके बाद दवा दुकानदार भी असमंजस में है. ऐसे में मरीज के परिजनों और दवा दुकानदारों में नोट लेने को लेकर काफी नोकझोंक हो रही है. दवा दुकानदार भी परेशान हैं, लेकिन वे डर-डर कर राशि ले रहे हैं. उनकी मजबूरी भी है. दूसरी ओर चूंकि यह निर्णय केंद्र का है. देश भर में एक ही नियम लागू हुआ है तो ऐसे में कोई स्पष्ट गाइड लाइन नहीं होने के कारण यह असमंजस की स्थिति बन रही है. इसका निदान किसी के पास नहीं है. न बैंक के पास और न ही प्रशासन के पास.

कहते हैं डीसी
इस तरह की कोई गंभीर शिकायत नहीं आयी है. फिर भी दवा दुकानदारों को चाहिए कि मरीज की जान की रक्षा के लिए जरूरी दवायें मुहैया करायें. सरकारी अस्पतालों में गरीब मरीज ज्यादा आते हैं. इसलिए डॉक्टर्स के परची को देखकर एक निश्चित राशि तक की दवा मुहैया करा सकते हैं. इसमें कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए. दवा के अभाव में किसी की जान न जाये, इस बात को समझना चाहिए. नोट के प्रचलन के लिए जो समय सीमा देश स्तर पर निर्धारित की गयी है. वह सबको मानना चाहिए.
-अरवा राजकमल, डीसी देवघर

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