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केजीएवी में पेयजल संकट
मधुपुर : प्रखंड के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में पिछले दो वर्ष से पेयजल आपूर्ति का घोर संकट है. विद्यालय में चार चापाकल हैं. लेकिन चारों का पानी पीने योग्य नहीं है. पेयजल आपूर्ति विभाग मधुपुर के अधिकारियों ने सभी चापाकल के पानी की जांच कर इस पर खतरे की निशान लगाते हुए पीने के […]
मधुपुर : प्रखंड के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में पिछले दो वर्ष से पेयजल आपूर्ति का घोर संकट है. विद्यालय में चार चापाकल हैं. लेकिन चारों का पानी पीने योग्य नहीं है. पेयजल आपूर्ति विभाग मधुपुर के अधिकारियों ने सभी चापाकल के पानी की जांच कर इस पर खतरे की निशान लगाते हुए पीने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया है. बावजूद कई बार पानी के अभाव में छात्राएं उक्त पानी भी पी लेती है. पानी प्रदूषण की मात्रा इतनी है कि यह खाना बनाने योग्य भी नहीं है. किसी तरह इससे सिर्फ कपडा साफ हो पाता है. स्कूल की बच्चियां पीने के लिए प्रत्येक दिन विद्यालय के बाहर पांच सौ फीट दूरी तय कर बीआरसी कार्यालय के पास जाते है और इन लोगों को खुद से पानी लेकर आना पड़ता है.
तभी खाना बनाने व पीने का काम हो पाता है. बच्चियों ने बताया कि विद्यालय परिसर में लगे चापाकल का पानी निकाल कर बर्तन में रख देने पर उसमें मोटी परत जम जाती है. इससे नहाने पर कई बच्चियों के शरीर में खुजली होती है. पानी की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने से छात्राएं और शिक्षिकाएं परेशान हैं.
क्या कहती है वार्डन : वार्डन करूणा राय ने बताया कि विद्यालय में लगे सभी चापाकल का पानी प्रदूषित व जहरीला है. बच्चियों को पीने के लिए बाहर से पानी लाना पडता है. खाना बनाने के लिए कभी कभार सप्लाई पानी आता है. जिससे जमा कर रखा जाता है और इससे खाना बनता है.
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