वहीं कांवर में संगीतमय धुन बजाने वाली म्यूजिक सिस्टम के साथ चार्ज करने वाले सोलर सिस्टम वाली मशीन भी लगी हुई है. इसके अलावा कांवर के आगे व पीछे देखने के लिए लुकिंग ग्लास भी लगा हुआ है. जो कांवर यात्रा के दौरान उनकी मदद करते हैं. इन सबके अलावा शैलेश अपने कमर व पैरों में 5 किलो के घुंघरू भी बांध रखे हैं. जो हर कदम पर रूनझुन स्वर उत्पन्न कर उन्हें उत्साहित करता है. बाबाधाम के साथ बाबा बासुकिनाथ धाम की भी पैदल यात्रा करने के बाद शैलेश गुरुवार को घर लौट गये.
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गोपालगंज से पैदल कांवर लेकर पहुंचे बाबाधाम
देवघर : जिस तरह भोलेनाथ की महिमा अनंत है उसी तरह बाबा के भक्तों की भक्ति की भी कोई सीमा नहीं है. ‘बिहार एक्सप्रेस’ के नाम से प्रसिद्ध बिहार के गोपालगंज जिला के शैलेश बम इसका ताजा उदाहरण है. आम तौर पर लोग सावन में सुलतानगंज से जल भर कर बाबाधाम की कांवर यात्रा करते […]
देवघर : जिस तरह भोलेनाथ की महिमा अनंत है उसी तरह बाबा के भक्तों की भक्ति की भी कोई सीमा नहीं है. ‘बिहार एक्सप्रेस’ के नाम से प्रसिद्ध बिहार के गोपालगंज जिला के शैलेश बम इसका ताजा उदाहरण है. आम तौर पर लोग सावन में सुलतानगंज से जल भर कर बाबाधाम की कांवर यात्रा करते हैं, लेकिन शैलेश ने अपने घर से ही पैदल कांवर यात्रा शुरू कर दी और सैंकड़ों किलोमीटर की लंबी दूरी 21 दिनों में तय कर बाबाधाम पहुंच गये और बाबा पर जलार्पण किया. पहले वे गोपालगंज से सुलतानगंज पहुंचे फिर वहां से जल भर कर बाबाधाम आये. शैलेश का कांवर भी सामान्य कांवर से अलग लेकिन आकर्षक है.
शैलेश पिछले आठ वर्षों से लगातार बाबा बैद्यनाथ के दरबार पहुंचते हैं. वे ऋषिकेश, ताड़कधाम होते हुए जगन्नाथ पुरी तक की भी पैदल यात्रा कर चुके हैं. मूल रूप से गोपालगंज जिले के भौरे थानांतर्गत लामीचौरे गांव के रहने वाले शैलेश पेशे से किसान हैं. उनकी बाबा भोलेनाथ पर अटूट आस्था है. इस बार वे 25 किलो के अनोखे तिमंजिला कांवर के साथ देवघर पहुंचे हैं. कांवर के शीर्ष पर जहां भोेलेनाथ की मूर्ति व उसके ऊपर छाता लगा हुआ है.
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