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अनियमितता के आरोप में वन संरक्षक ने की कार्रवाई, प्रपत्र ”क” गठित, डीएफओ के खिलाफ चलेगी विभागीय कार्रवाई

देवघर: देवघर प्रमंडल की डीएफओ ममता प्रियदर्शी के खिलाफ प्रपत्र ‘क’ गठित कर विभागीय कार्रवाई शुरू करने की अनुशंसा की गयी है. उन पर पालोजोरी के आरा मिल की जांच मामले में गंभीर आरोप लगे हैं. उक्त आशय की जानकारी प्रादेशिक अंचल, देवघर के सीएफ जेपीएन सिन्हा ने दी. उन्होंने बताया कि पालोजोरी के मेसर्स […]

देवघर: देवघर प्रमंडल की डीएफओ ममता प्रियदर्शी के खिलाफ प्रपत्र ‘क’ गठित कर विभागीय कार्रवाई शुरू करने की अनुशंसा की गयी है. उन पर पालोजोरी के आरा मिल की जांच मामले में गंभीर आरोप लगे हैं. उक्त आशय की जानकारी प्रादेशिक अंचल, देवघर के सीएफ जेपीएन सिन्हा ने दी. उन्होंने बताया कि पालोजोरी के मेसर्स एसपी शॉ-मिल मामले में साक्ष्य रहने के बावजूद डीएफओ ने कार्रवाई नहीं की. यही नहीं डीएफओ प्रियदर्शी ने सहायक वन संरक्षक के द्वारा उक्त आरा मशीन परिसर की जांच के क्रम में या जांच के बाद प्रतिवेदन देने के पूर्व वन प्रमंडल पदाधिकारी, देवघर ने न तो सीएफ से कोई परामर्श किया और न ही उनके निर्देशों का अनुपालन किया. इस प्रकार आदेश की अवहेलना, अनुशासनहीनता, कर्तव्यहीनता व वन अपराधियों के साथ अंतर्लिप्ता के विरुद्ध यह कार्रवाई की गयी है.
सीएफ के निरीक्षण में पायी गयी थी अनियमितता : सीएफ ने निरीक्षण के क्रम में 12 अक्तूबर 15 को मेसर्स एसपी सॉ मिल पालोजोरी में भारी मात्रा में अवैध प्रकाष्ठ, चिरान, पटरा व लड़की का बुरादा पाया गया था.

साथ ही आरा मशीन को चलती अवस्था में पाया गया था. निरीक्षण के दौरान आरा मिल मालिक ने आरा मिल से संबंधित अभिलेख व भंडार पंजी आदि मांगे जाने पर नहीं दिया था.

इस दौरान डीएफओ ने आरा मशीन परिसर व रखी गयी लकड़ियों की मोबाइल से रिकार्डिंग की गयी. साथ ही मिल मालिक को निर्देश दिया गया था कि लकड़ी और मशीन की यथास्थिति बनाये रखें. 13 अक्तूबर 15 को वन क्षेत्र पदाधिकारी रघुवंशमणि सिंह और वनपाल मणिगढ़ी के नेतृत्व में छापेमारी की गयी, लेकिन लकड़ियां जहां थी, वहां नहीं पायी गयी. डीएफओ देवघर के लिए यह स्पष्ट साक्ष्य था. जिसके आधार पर उक्त आरा मशीन की जब्ती व आरा मशीन के मालिक की गिरफ्तारी की जानी चाहिए थी, लेकिन आरोप है कि ऐसा नहीं करके इस मामले को समाप्त करने का प्रयास किया गया.

वनपाल मणिगढ़ी द्वारा एक खानापूर्ति के तहत स्थल पर जब्ती सूची बनायी गयी और उसी गांव के मो निसार को लकड़ियों को जिम्मेनामा पर दे दिया गया. लेकिन बाद में लकड़ियां गायब हो गयी. पर्याप्त साक्ष्य के बाद भी इस मामले में डीएफओ प्रियदर्शी ने उक्त आरा मशीन मालिक के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की. सीएफ ने बताया कि इस मामले में डीएफओ ने लापरवाही दर्शाती है. सीएफ श्री सिन्हा ने बताया कि मामले की जांच में अनियमितता पाये जाने पर डीएफओ से स्पष्टीकरण पूछा गया था, लेकिन उत्तर नहीं मिलने पर उनके विरुद्ध प्रपत्र ‘क’ गठित कर विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है.

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