दर्ज मुकदमा में कहा गया है कि परिवादी की पत्नी की किडनी में दिक्कत थी. जिसे चिकित्सक ने ट्रांसप्लांट के लिए सलाह दी थी. परिवादी ने इस आशय का विज्ञापन अखबार में प्रकाशित कराया. इसके बाद मानगो निवासी चिंटू शर्मा का संपर्क फोन के माध्यम से हुआ आैर चिंटू ने अपनी किडनी देने पर सहमति जतायी.
दोनों पक्षों के बीच इस आशय का दस्तावेज बना और इस एवज में 4.50 लाख रुपये भुगतान किया गया. उनकी पत्नी की किडनी का ट्रांसप्लांट डाॅक्टर की उचित देख-रेख में किया गया. यह घटना 25 मई 2014 को घटी थी. इधर, आरोपित ने आठ लाख रुपये निजी काम के वास्ते लिया और दो माह के अंदर लौटाने की शर्तनामा एग्रीमेंट भी बना दिया. पैसे लौटाने की अवधि खत्म होने के बाद जब परिवादी ने रुपयों की मांग की ताे टालमटोल किया. बाद में नकद लिये पैसे भी लौटाने से इनकार कर दिया. विवश होकर परिवादी ने मुकदमा किया. जिसे पीसीआर संख्या 626/16 के रूप में दर्ज कर लिया गया. इस मामले को सुनवाई के लिए रख लिया गया है.