देवघर: जिले में 390 एएनएम है. उसके बाद भी छह स्वास्थ्य उप केंद्र साल भर से बंद है. सिविल सजर्न कार्यालय से मिले आंकड़े के अनुसार जसीडीह का पुनासी, देवीपुर का महुवाडाबर, पालोजारी का तालगरहा, करौं का गोसवा व तारापुर व मधुपुर का सरपट्टा स्वास्थ्य उप केंद्र बंद है.
साल भर से बंद सब सेंटरों को शुरू कराने के लिए स्वास्थ्य महकमा के पास समय नहीं मिला जिसके कारण उन सब सेंटर के समीप के ग्रामीण चिकित्सा सुविधा से महरूम हैं. इस ओर न स्वास्थ्य विभाग का ध्यान पड़ा और न ही जिला प्रशासन का. वहीं एनआरएचएम की चल रही योजनाओं का हाल तो बेहाल है. सब सेंटर चालू नहीं होने के कारण टीकाकरण पर असर पड़ा रहा है. बच्चों का समय पर टीकाकरण नहीं हो रहा है. साथ ही संस्थागत प्रसव, एएनसी, पीएनसी, सेफ डिलिवरी पर असर पड़ रहा है. वहीं हर माह टीकाकरण व मातृ व शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए तीन से चार मीटिंग या वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है, लेकिन बंद सब सेंटर को खोलने का प्रयास किसी ने अभी तक नहीं किया है.
सीट से ज्यादा एएनएम की प्रतिनियुक्ति की गयी : जहां एक ओर छह सब सेंटर बंद है. वहीं मोहनपुर, सारवां व अन्य कई जगहों पर सीट से ज्यादा एएनएम की प्रतिनियुक्ति की गयी है. जबकि तत्कालीन सिविल सजर्न को कई बार बंद सब सेंटरों को खोलने के लिए कहा गया लेकिन उसके बाद भी अभी तक छह सब सेंटर बंद है.
मिलेनियम डेवलपमेंट गोल पर पड़ रहा असर : एनआरएचएम के अभियान को धक्का लग रहा है. यूनाइटेड नेशन के मिलेनियम डेवलपमेंट गोल के अनुसार मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए वर्ष 2015 तक (एमएमआर) 109 मातृ मृत्यु दर लाना है. अभी फिलहाल वर्ष 2007-09 तक मातृ मृत्यु दर 261 है वहीं वर्ष 2010-12 में 219 हो गया है. सब सेंटर बंद रहा तो मिलेनियम डेवलपमेंट गोल पर असर पड़ेगा.
‘‘ बंद सब सेंटर के बारे में जानकारी लेंगे. उसके बाद जहां ज्यादा एएनएम होगी. वहां से हटाकर उस जगह पर भरा जायेगा.
डॉ दिवाकर कामत
सीएस, देवघर