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मिलकर बचाना होगा बचपन

देवघर: रामराज आश्रम में चेतना विकास द्वारा बाल संरक्षण पर मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में किशोर न्याय कानून व बाल विवाह कानून के तहत बाल संरक्षण की प्राथमिकताओं पर खुलकर चर्चाएं हुई. कार्यशाला में बाल विवाह, बाल व्यापार, बाल श्रम व बाल संरक्षण पर संस्था के प्रतिनिधि व पत्रकारों ने विचार रखे. […]

देवघर: रामराज आश्रम में चेतना विकास द्वारा बाल संरक्षण पर मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में किशोर न्याय कानून व बाल विवाह कानून के तहत बाल संरक्षण की प्राथमिकताओं पर खुलकर चर्चाएं हुई. कार्यशाला में बाल विवाह, बाल व्यापार, बाल श्रम व बाल संरक्षण पर संस्था के प्रतिनिधि व पत्रकारों ने विचार रखे. कार्यशाला में बचपन को बचाने के लिए सबों ने जिम्मेवारी निभाने की बात दोहरायी. बचपन बचाने में पंचायतीराज, मीडिया, ग्राम सभा, ब्यूक्रेट्स, पुलिस व समाज को भूमिका निभानी होगी.

इसमें पंचायतीराज व मीडिया की भूमिका अहम है. बाल संरक्षण के लिए जिलों में बनायी समिति बाल कल्याण समिति को आगे बढ़कर अपनी जिम्मेवारी उठानी चाहिए. देवघर समेत कई जिलों में बाल कल्याण समिति द्वारा बाल विवाह रोकने में कोई कदम नहीं उठायी गयी है. आंकड़ों के अनुसार झारखंड में सर्वाधिक बाल विवाह देवघर जिले में हो रहा है. इसके अधिकृत अधिकारी प्रखंडों में बीडीओ होते हैं, लेकिन कई जगह बीडीओ को भी बाल विवाह कानून की जानकारी तक नहीं है. बाल विवाह रोकने के लिए पंचायत के मुखिया भी जवाबदेह हैं. इसके लिए मुखिया को ग्राम सभा की बैठक में इस कानून की जानकारी ग्रामीणों तक पहुंचाना चाहिए.

पंचायतों में लगेगी समस्या निवारण पेटी : सचिव कुमार रंजन ने बताया कि संस्था की ओर से बाल संरक्षण व बाल विवाह समेत विभिन्न समस्याओं पर चिन्हित पंचायतों में समस्या निवारण पेटी लगायी जायेगी. पंचायत कार्यालय में यह पेटी होगी व इसमें बच्चे समेत अन्य लोग अपनी समस्या लिख कर डालेंगे. पंचायत समिति की बैठक में इस पेटी में डाले गये समस्याओं पर चर्चा होगी. समस्या निवारण पेटी तैयार कर लिया गया है.

आर्थिक असहजता सबसे बड़ा कारण : बाल विवाह का सबसे बड़ा कारण आर्थिक असहजता भी है. इसके अलावा अशिक्षा, दहेज, सामाजिक दबाव भी एक प्रमुख कारण है. इसके लिए बड़े पैमाने पर जागरुकता अभियान चलाने की जरूरत है. बाल विवार की रोकथाम के लिए मठ-मंदिर के पुजारी, चर्च के फादरी व मौलाना के साथ सामाजिक वैचारिक बैठक होनी चाहिए. इसमें न्यायिक दंडाधिकारी, जनप्रतिनिधि, ब्यूरोक्रेटस, मीडिया पर्सन व संस्था के लोगों को भी आमंत्रित किया जाना चाहिए. निश्चित रुप से सब मिलकर एक ठोस नतीजे पर पहुंच सकते हैं. इस अवसर पर चेतना विकास के सचिव कुमार रंजन, पौलमी राय चौधरी, पत्रकार केबी सहाय, आरसी सिन्हा,जेम्स कुमार नवाब, शैलेंद्र मिश्र, आलोक संतोषी व इंदिरा मिश्र आदि थे.

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