देवघर: मास्टर प्लान के बगैर एक बार फिर से शिवगंगा व मानसरोवर का पानी साफ व पीने के लायक बनाने एवं जलकुंभी हटाने के लिए पहल शुरू हो गयी है. गतवर्ष भी तत्कालीन उपायुक्त के रवि कुमार ने अपने कार्यकाल में दिल्ली एवं हैदराबाद की कंपनियों ने शिवगंगा का पानी जांच के लिए कलेक्ट किया.
लाखों रुपये खर्च कर हैदराबाद की कंपनी से शिवगंगा में केमिकल ट्रीटमेंट कराया गया. कंपनी ने दावा किया था कि पानी पीने लायक व स्वच्छ होगा. बावजूद आज भी पानी में बदबू और शिवगंगा में चारों ओर कचरा जमा है. वर्तमान हालात तो यह है कि लोग अब शिवगंगा में स्नान करने से कतराने लगे हैं. जिला प्रशासन हो या नगर विकास विभाग.
किसी के शिवगंगा के गंदे जल का निकासी का कोई मास्टर प्लान नहीं है. सिर्फ आइवॉश एक्शन के तहत कार्य सूबे के नगर विकास विभाग की पहल पर बुधवार को इको हेल्प चेन्नई की वाटर टेक्नोलॉजिस्ट की टीम ने शिवगंगा व मानसरोवर के पानी को बारीकी से देखा व जांच के लिए सैंपल कलेक्ट किया. टीम में वाटर साइंटिस्ट मूर्ति के अलावा जर्मन विशेषज्ञ मुकुल प्रसाद शामिल थे. विशेषज्ञ ने बताया कि वर्तमान में दोनों ही तालाब का पानी काफी खराब है. कंपनी को काम मिलने के बाद दोनों ही तालाब के पानी को पीने लायक बना दिया जायेगा. पानी की साफ -सफाई के बाद अगले तीन वर्षो तक इसका इस्तेमाल पीने में किया जा सकेगा.
बशर्ते तालाब में साबुन व रासायनिक पदार्थो का उपयोग नहीं किया जाये. टीम ने जलसार तालाब का भी निरीक्षण कर जांच के लिए पानी कलेक्ट किया. विशेषज्ञ ने बताया कि सर्वप्रथम कलेक्ट सैंपल का प्रयोगशाला में वाटर एनॉलाइसिस किया जायेगा. जांच रिपोर्ट के आधार पर केमिकल तैयार किया जायेगा. जांच एवं केमिकल तैयार करने में सात-सात दिनों का वक्त लगेगा. इसके बाद शिवगंगा की सफाई में पंद्रह दिन एवं मानसरोवर की सफाई में एक माह का वक्त लगेगा. इस मौके पर वाटर टेक्नोलॉजिस्ट के अलावा देवघर कई वार्ड पार्षद, नगर निगम के आयुक्त अलोइस लकड़ा सहित स्थानीय तकनीकी पदाधिकारी शामिल थे.