मधुपुर: रांची के बिरसा समाधि स्थल से रवाना हुए ग्राम स्वराज्य अभियान यात्र का मधुपुर में गुरुवार को स्वागत किया गया. स्वयंसेवी संस्था संवाद द्वारा शहर के बावनबीघा स्थित कार्यालय परिसर में यात्र में शामिल सदस्यों का माला पहना कर स्वागत किया गया.
पंचायत सशक्तिकरण अभियान व लोहरदगा ग्राम स्वराज्य संस्था के बैनर तले झारखंड में पंचायती राज को सुदृढ़ करने व पंचायती राज अधिनियम में स्वशासन की परंपरा को सम्मान देने, अनुसूचित क्षेत्रों के लिए बने पंचायत का विस्तार अधिनियम ‘पेसा’ को भी पूर्ण रूपेण शामिल करने आदि मुद्दों को आधार बनाते हुए यात्र का शुभारंभ रांची से किया गया है. समाजसेवी घनश्याम ने कहा कि झारखंड में पेसा कानून के मूल प्रावधानों को लागू अब तक नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा कि ग्राम स्वराज अधिनियम झारखंड ने पंचायती राज अधिनियम में पुन: संशोधन के लिए सत्त प्रयासरत एवं संघर्षशील रही है. पंचायत की आत्मा ग्रामसभा में निहित है जहां शासन में समुदाय की प्रत्यक्ष भागीदारी होती है, इस सशक्त और अधिकार संपन्न किये बिना लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का सपना कभी पूरा नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि गत 20 नवम्बर को महामहिम राज्यपाल को पेसा और पंचायत पर स्मार पत्र के माध्यम से ध्यान आकृष्ट कराया गया है.
ग्राम सभा को नहीं मिला अधिकार
घनश्याम ने कहा कि पेसा कानून के तहत गांव में मताधिकार प्राप्त सभी लोगों का समूह जो गांव के स्तर पर अपनी परंपरा के अनुसार अपना काम चलाने में सक्षम है इसे ग्रामसभा कराने व इसके निर्णय को सर्वोपरि माना गया. लेकिन 1997 की पंचायती राज व्यवस्था में इस मामले में राज्यों ने ग्राम सभा को अपनी गरिमा के अनुसार अधिकार संपन्न न कर सिर्फ विचार-विमर्श और पंचायत के विचार्थ सिफारिश करने वाली संस्था के रूप में मान्यता दी. इस अवसर पर संस्था के जगदीश वर्मा, पंकज, लेखक अबरार ताबिंदा, जावेद, महानंद आदि मौजूद थे.