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स्रोत यज्ञ से प्रकृति की आराधना रिखियापीठ में रजत जयंती समारोह की पूर्णाहुति पर अनुष्ठान शुरु संवाददाता, रिखियापीठ स्वामी सत्यानंदजी की तपोस्थली रिखियापीठ की स्थापना के रजत जयंती पूर्ण होने पर एक वर्ष तक रिखियापीठ में चले रहे विभिन्न गतिविधियों की पूर्णाहुति समारोह गुरुवार से शुरू हुआ. इस अवसर पर कोल्हापुर से आये पंडितों ने […]

स्रोत यज्ञ से प्रकृति की आराधना रिखियापीठ में रजत जयंती समारोह की पूर्णाहुति पर अनुष्ठान शुरु संवाददाता, रिखियापीठ स्वामी सत्यानंदजी की तपोस्थली रिखियापीठ की स्थापना के रजत जयंती पूर्ण होने पर एक वर्ष तक रिखियापीठ में चले रहे विभिन्न गतिविधियों की पूर्णाहुति समारोह गुरुवार से शुरू हुआ. इस अवसर पर कोल्हापुर से आये पंडितों ने स्रोत यज्ञ से प्रकृति की आराधना शुरू की. इस दौरान गाय व बकरी का दूध अग्नि को अर्पित की गयी. सुबह में स्वामी निरंजनानंदजी व स्वामी सत्संगीजी की उपस्थिति में पंडितों ने गुरू पूजा की व कन्याओं ने नृत्य से गुरु की आराधना की. यज्ञ के महत्व पर स्वामी निरंजनानंदजी ने कहा कि यह स्रोत यज्ञ है. इस यज्ञ में प्रकृति के पांच तत्वों की आराधना हो रही है. इस यज्ञ के माध्यम से प्रकृति की पूजा हो रही है. इससे प्रकृति में बदलाव लायेगा व यज्ञ में शामिल होने वाले लोगों की मनोभावना बदलेगी. विश्व में प्रकृति में जो असमानता हुई है, इस यज्ञ से प्रकृति सामान्य होगी. इस यज्ञ में शामिल होने वालों में मानसिक व शारीरिक रुप से सकारात्मक ऊर्जा का विकास होगा. कोल्हापुर के पंडितों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ यज्ञ हो रहा है. यज्ञ का समापन 21 दिसंबर को होगा.

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