मधुपुर: गरमी बढ़ते ही पेयजलापूर्ति के लिए हाहाकार मच गया है. घटते जल स्तर ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. ड्राइ जोन वाले क्षेत्र में तो स्थिति और भी भयावह है. वहीं पेयजलापूर्ति के लिए विभाग के दावे भी कागजों तक ही सीमित रह गये हैं. शहरी क्षेत्र में साढ़े तीन दशक पुरानी पेयजलापूर्ति योजना पर खर्च किये गये लगभग दो करोड़ रुपये भी विफल साबित हुई है.
सड़कों पर बहता है पानी
एक लाख गैलन पानी क्षमता वाले टंकी का अधिकतर पानी सड़कों पर बहकर बर्बाद हो रहा है. शहरी पेयजलापूर्ति योजना के लिए तकरीबन 12 किलोमीटर परिधि में पाइपलाइन बिछाया गया है. मगर ड्राइजोन इलाके पथलचपटी, अब्दुल अजीज रोड, मीनाबाजार अंश में अब तक पानी की स्थिति विकट बनी है.
चापानल व कुएं भी हैं बेदम
शहरी क्षेत्र 385 चापाकल है, जिसमें तकरीबन 35 खराब है. 36 कुआं है जिसमें से एक दर्जन कुआं का पानी पीने योग्य नहीं है. कई तो डस्टबीन बन गये हैं. शहरी क्षेत्र में अब तक 36 लोगों ने ही पानी का कनेक्शन लिया है. उन्हें भी नियमित कनेक्शन नहीं मिल पा रहा है.
मधुपुर अनुमंडल क्षेत्र में कुल 9,268 चापानल हैं. विभागीय आंकड़ों के अनुसार इनमें 1,966 चापानल खराब हैं. जबकि वास्तविकता इससे अलग है. मधुपुर प्रखंड में 1,969 चापाकल हैं. इनमें 411 खराब हैं. करौं में 1,473 में 252, मारगोमुंडा में 1,226 में 233, सारठ में 2,418 में 491, पालाजोरी में 2,282 में 579 चापाकल खराब है. अधिकतर चापानल मरम्मती व पाइप के अभाव में बंद पड़े हैं. इतने चापानल की मरम्मती के लिए सिर्फ आठ सरकारी मिस्री हैं, अधिकतर काम प्राइवेट मिस्त्रियों के जिम्मे है.
पंचायत भेज सकते हैं प्रस्ताव
विभाग के निर्देशानुसार प्रखंड के प्रत्येक पंचायत पेयजलापूर्ति के लिए योजना तैयार कर और उसे ग्राम सभा से पारित कराकर मधुपुर कार्यालय में जमा कर सकतें हैं. विभागीय अधिकारी इसे स्वीकृति के लिए सरकार के पास भेजेंगे और योजना की स्वीकृ ति दी जायेगी.