मधुपुर: संवाद कार्यालय परिसर में शुक्रवार को बिरसा मुंडा की 138 वीं जयंती के अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. एनसीडीएचआर, डीएएए व संवाद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित गोष्ठी में समाज कर्मी घनश्याम ने कहा कि समाज के हाशिये पर रह रहे दलित एवं आदिवासियों के उत्थान के लिए यह जरूरी है कि एससीपी एवं टीएसपी को संसद द्वारा कानून का दर्जा दिया जाय.
आदिवासी पिछड़ा
मौके पर एनसीडीएचआर के राजेश ने दलित और आदिवासी कानून के संबंध में चर्चा कर कहा कि पिछले 33 साल का इतिहास गवाह है कि दलित एवं आदिवासियों के उत्थान की बजटीय आवंटन की राशि को दुसरे मदों में खर्च कर सरकार ने समुदाय के प्रति सौतेला व्यवहार किया है.
50 से 60 फीसदी राशि अन्य कार्यो में खर्च
राजेश ने कहा कि कि आदिवासी उत्थान के मद वाले पैसे से कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन किया गया. वहीं आइआइएम रांची, ओड़िसा में जेल, मध्य प्रदेश में जेल जबकि झारखंड में आदिवासी उपयोजना 50 से 60 फीसदी राशि का उपयोग सड़क , पुल निर्माण आदि कार्यो में सरकार खर्च करते हैं. गोष्ठी को समाजसेवी जेवियर कुजूर, कल्याणी मीणा के अलावा पाकुड़, दुमका, साहिबगंज, रांची, देवघर आदि जिलों से आये समाज कर्मियों ने भी गोष्ठी को संबोधित किया. इस अवसर पर सुनीता मुमरू, मकदलनी, सावित्री देवी, लीला देवी, रेबिका, सीमा, सन्नी तूरी, डोमन तूरी, स्वाति, श्यामलाल, ओदिन हांसदा, महानंद, संजय, अन्ना, ऐनी समेत 50 प्रतिभागी मौजूद थे. मंच संचालन घनश्याम ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन जगदीश वर्मा ने दिया.