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दो साल में 310 ही इनरॉल

देवघर: जिले में मुख्यमंत्री लाडली लक्ष्मी योजना सरकार के दो अलग-अलग विभागों के पेंच में फंस कर रह गया है. इस कारण योजना का हाल-बेहाल है. नियमानुसार, योजना का लाभ बीपीएल परिवार में संस्थागत प्रसव से जन्म लिये कन्याओं को मिलना है. मगर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की चयन के तरीके के कारण लक्ष्य […]

देवघर: जिले में मुख्यमंत्री लाडली लक्ष्मी योजना सरकार के दो अलग-अलग विभागों के पेंच में फंस कर रह गया है. इस कारण योजना का हाल-बेहाल है. नियमानुसार, योजना का लाभ बीपीएल परिवार में संस्थागत प्रसव से जन्म लिये कन्याओं को मिलना है. मगर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की चयन के तरीके के कारण लक्ष्य के मुकाबले काफी कम संख्या में कन्याओं का चयन हो सका है. जिले में अब तक मात्र 15 फीसदी कन्या का ही इस योजना में चयन हो सका है.

ज्ञात हो कि पूर्व मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना थी. जिसकी घोषणा वर्ष 2011 में स्थापना दिवस के अवसर श्री मुंडा ने की थी. शुरुआती चरण में उक्त योजना ठीक-ठाक चल रही थी. मगर अजरुन मुंडा सरकार के हटते ही योजना को जिले में ग्रहण लग गया है. जबकि इसका हाल जानने वाला कोई नहीं है.

वित्तीय वर्ष में 2250 लाभुक को लाभ का लक्ष्य
देवघर में चालू वित्तीय वर्ष में 22 50 लाभुक को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. लेकिन अब तक लगभग 15 फीसदी यानी (मात्र 310) बच्चियों को ही इस योजना से जोड़ा जा सका है. जबकि सरकार की ओर से 33 लाख परिवारों को योजना का लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.

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