वहीं भूमाफियाओं की नजर इस बहुमूल्य जमीन पर है. मिली जानकारी के अनुसार देवघर को जैसे ही जिला की मान्यता मिली. दुर्भाग्यवश बिंदेश्वरी दुबे की सरकार चली गयी. अस्सी के दशक में तमाम जिलाधिकारियों के लिए तत्कालीन सरकार ने जिला प्रशासन भवन व आवासीय भवन बनाने की अनुमति व राशि की स्वीकृति व आवंटन किया. लगभग 29 वर्ष हो गये, परंतु कोई भी अधिकारी वहां नहीं गया. नतीजन लाखों की लागत से बनाये गये आवास आज जर्जर हो गये. उन्होंने कहा कि वास्तव में यह वेस्टेज ऑफ पब्लिक मनी है.
जबकि आज भी सरकार व जिला प्रशासन चाहे तो उन जर्जर आवासों में विभिन्न विभागों के कार्यालय, जो भाड़े के मकानों में चलते हैं, खोले जा सकते हैं. लेकिन सरकार या प्रशासन का ध्यान उक्त जमीन पर नहीं गया है. डीसी, डीडीसी, एसपी सहित वरीय अधिकारियों के लिए आवास बनना था. उस वक्त अनुमानित राशि 6 लाख 49 हजार तथा एसपी के आवास के लए अनुमानित राशि 5 लाख 71 हजार का आवंटन हुआ था. इसी तरह अन्य अधिकारियों के लिए भी आवास का आवंटन किया गया था.