देवघर: अपनी मजदूरी व जांच की मांग को लेकर समाहरणालय के समक्ष धरना देने वाले देवघर प्रखंड के गौरीपुर गांव के मनरेगा मजदूरों का आरोप जांच में लगभग सही पाया जा रहा है. गुरुवार को मनरेगा लोकपाल सुचित्र झा गौरीपुर गांव में मनरेगा की जांच में पहुंची. इस दौरान एक-एक मजदूरों से पूछताछ किया व जॉब कार्ड का मिलान किया गया. मिलान के दौरान गौरीपुर व मुड़ियाडीह गांव में काम करने वाले कई मनरेगा मजदूरों का जॉब कार्ड बिल्कुल खाली मिला. जॉब कार्ड में मजदूरों की हाजिरी की इंट्री नहीं की गयी थी.
आरोप लगाने वाले गौरीपुर गांव के दुबे महतो का जॉब कार्ड भी बिल्कुल खाली मिला, जबकि दुबे महतो ने मनरेगा में लगातार काम किया था. पास बुक में पाया गया कि दुबे महतो को 16 अगस्त, 2013 को भी 828 रुपये भुगतान किया गया है. बावजूद जॉब कार्ड में हाजिरी की इंट्री नहीं है. जांच में गरैरीपुर गांव के उमेश मंडल, सुभाष मंडल व बबलू मंडल ने भी कहा कि उनकी मजदूरी सिंचाई कूप में बांकी है.
जबकि कई लाभुकों का सिंचाई कूप भी धंस गया व भुगतान अटक गया. लोकपाल ने बताया कि इस पंचायत में मनरेगा में भारी गड़बड़ी हुई है, पूरी जांच के लिए अध्ययन करना होगा. इसके बाद आगे की कार्रवाई के लिए फाइल बढ़ाया जायेगा. पिछले दिनों गौरीपुर में मनरेगा में गड़बड़ी के कारण ही रोजगार सेवक शैलेंद्र कुमार को कार्यमुक्त कर दिया गया था.