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सत्याग्रह ही सामाजिक क्रांति का गांधीवादी तरीका है : प्रो पीसी दास

देवघर: सत्य और अहिंसा का अटूट संबंध ही सत्याग्रह के विचारों को जन्म देता है. सत्याग्रह ही सामाजिक क्रांति का गांधीवादी तरीका है. सत्याग्रह का शब्दार्थ सत्य + आग्रह अर्थात सत्य पर अडिग रहना है. जब अहिंसा का पालन करते हुए मनुष्य आत्मशुद्धि कर लेता है तो उसकी अंतरात्मा ही सत्य का दर्पण बन जाता […]

देवघर: सत्य और अहिंसा का अटूट संबंध ही सत्याग्रह के विचारों को जन्म देता है. सत्याग्रह ही सामाजिक क्रांति का गांधीवादी तरीका है. सत्याग्रह का शब्दार्थ सत्य + आग्रह अर्थात सत्य पर अडिग रहना है. जब अहिंसा का पालन करते हुए मनुष्य आत्मशुद्धि कर लेता है तो उसकी अंतरात्मा ही सत्य का दर्पण बन जाता है.

उक्त बातें रमा देवी बाजला महिला कॉलेज के राजनीतिक विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक प्रकाश चंद्र दास ने कही. श्री दास ने कहा कि सत्य की सिद्धि कठिन तो हैं परंतु विजय उसकी ही होती है. सत्याग्रही कभी पराजय स्वीकार नहीं करता है. सत्याग्रह की विधि को गांधी जी ने स्वराज की प्राप्ति के लिए अपनाया था. यत्याग्रह एक गतिमान शक्ति है.

क्योंकि इसमें अन्याय के विरुद्ध संघर्ष के रूप में बल दिया गया है. इसका प्रयोग पारिवारिक, सामाजिक, राजनीतिक आदि स्तरों पर कर सकते हैं. गांधी जी का सत्याग्रह जीवन तथा राजनीति का दर्शन है. प्रह्वाद, मीरा, हरिश्चंद्र, भगवान बुद्ध एवं महावीर सत्याग्रहियों के उदाहरण हैं. गांधी जी ने सत्य एवं अहिंसा के आदर्शो को राजनीतिक क्षेत्र में व्यावहारिक प्रदान करने के लिए जिस सिद्धांत का प्रतिपादन किया था. उसे उन्होंने सत्याग्रह का नाम दिया था जिसका निर्माण दक्षिण अफ्रीका में श्वेत शासकों द्वारा भारतीयों पर किये जाने वाले अन्यायों का प्रतिरोध करने के लिए था.

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