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11 आंगनबाड़ी भवन की जमीन नहीं खोज पायी जिला परिषद

– भवन रद्द करने की अनुशंसा- हाल बीआरजीएफ कासंवाददाता, देवघरकेंद्र सरकार का पिछड़ा अनुदान कोष (बीआरजीएफ) की योजना पूर्ण करने में काफी हद तक जमीन की भी बाध्यता है. जमीन उपलब्ध नहीं होने पर बीआरजीएफ की राशि समय पर खर्च नहीं हो रही है. बीआरजीएफ से दो नवंबर 2013 को आंगनबाड़ी भवन की स्वीकृति हुई […]

– भवन रद्द करने की अनुशंसा- हाल बीआरजीएफ कासंवाददाता, देवघरकेंद्र सरकार का पिछड़ा अनुदान कोष (बीआरजीएफ) की योजना पूर्ण करने में काफी हद तक जमीन की भी बाध्यता है. जमीन उपलब्ध नहीं होने पर बीआरजीएफ की राशि समय पर खर्च नहीं हो रही है. बीआरजीएफ से दो नवंबर 2013 को आंगनबाड़ी भवन की स्वीकृति हुई थी. वित्तीय वर्ष 2013-14 में बीआरजीएफ से जिला परिषद को आंगनबाड़ी भवन की जिम्मेवारी दी गयी थी. इसमें 11 आंगनबाड़ी भवन के लिए डेढ़ वर्ष में भी जिला परिषद जमीन नहीं खोज पायी. जमीन नहीं मिलने पर जिला परिषद के जिला अभियंता जयप्रकाश सिंह ने 11 आंगनबाड़ी भवन को रद्द करने की अनुशंसा डीपीओ को भेज दी है. इसमें प्रति आंगनबाड़ी भवन की राशि 6.18 लाख रुपये है. कुल 11 आंगनबाड़ी भवन का लगभग 67 लाख रुपये अब बीआरजीएफ की खर्च नहीं हो पायेगी.इन गांवों में नहीं मिली जमीन देवघर: चिचहरा, चपरिया, बदिया व मंझिया. मोहनपुर : पहाड़पुर, खुुटाबांध, बसडीहा, बेलटिकरी व छोटबहियारी.सारवां : भंडारो व डाकाय.डीडीसी ने सीडीपीओ को दिया जमीन तलाशने का निर्देशजिला परिषद के जिला अभियंता का पत्र प्राप्त होने के बाद डीडीसी संजय कुमार सिंह ने देवघर ग्रामीण, मोहनपुर व सारवां के सीडीपीओ संबंधित गांवों में जमीन तलाशने का निर्देश दिया है. हालांकि सभी सीडीपीओ को 28 फरवरी तक ही जमीन तलाशने का निर्देश दिया था. सीडीपीओ के स्तर से भी अब तक जमीन उपलब्ध नहीं करायी जा सकी है. मालूम हो कि इन गांवों आंगनबाड़ी केंद्र किराये के मकान अथवा खपड़ेल व झोपड़ी में चल रहा है. झोपड़ी में केंद्र चलने से बरसात के दिनों में छोटे-छोटो बच्चों को परेशानी होती है. अगर भवन बन जाये तो छोटे बच्चों को अधिक सुविधा मिलेगी.

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