देवघर: भारत सरकार बाल वैज्ञानिक बनाने एवं विज्ञान को बढ़ावा देना चाहती है. इसके लिए सरकार योजनाएं बनाती है. योजनाओं को अमली जामा पहनाने के लिए लगातार पैसे भी खर्च करती है. लेकिन, राशि खर्च करने के बाद भी योजनाओं को स्कूल प्रशासन एवं शिक्षक धरातल पर उतारना नहीं चाहते हैं. जिलास्तरीय इंस्पायर अवार्ड 2013 के लिए देवघर से सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों के 72 छात्रों का चयन किया था. मॉडल आदि निर्माण के लिए प्रत्येक छात्रों को पांच-पांच हजार रुपये का वारंट (चेक) दिया गया था. लेकिन, दुमका में आयोजित जिलास्तरीय इंस्पायर अवार्ड प्रतियोगिता में देवघर के सिर्फ 40 स्कूलों के बच्चे ही शामिल हुए थे.
परेशानी बताते हुए चार स्कूलों के प्रशासन ने चेक (वारंट) लौटा दिया. लेकिन, 26 स्कूल प्रशासन ने न तो वारंट लौटाये और न ही प्रतियोगिता में शामिल नहीं होने वाले छात्रों के संदर्भ में कोई सटीक कारण बताया. मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी ने चिह्न्ति 26 स्कूलों से स्पष्टीकरण पूछा है. डीइओ ने कहा कि विज्ञान प्रदर्शनी में स्कूलों को बच्चों को शामिल नहीं कर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है. स्कूल प्रशासन के साथ-साथ शिक्षकों ने सरकारी महत्वाकांक्षी योजना के प्रति लापरवाही एवं उदासीनता बरती है. शिक्षक वारंट की महत्ता को नहीं समझा पाये. तर्क संगत जवाब नहीं मिलने पर आवश्यक कार्रवाई के लिए विभाग को लिखा जायेगा.
‘निश्चित रूप से मामला गंभीर है. कुछ स्कूलों से स्पष्टीकरण का जवाब प्राप्त हुआ है. सभी स्कूलों से जवाब प्राप्त होने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी.’
– अखिलेश कुमार चौधरी
डीएसइ, देवघर.