देवघरः विश्व प्रसिद्ध श्रवणी मेला के दौरान देवघर शहरी क्षेत्र व कांवरिया पथ में सैकड़ों अस्थायी होटल, भोजनालय व अन्य दुकानें सज गयी है. जिसकी सूची न नगर निगम के पास है और न ही वाणिज्य कर विभाग के पास. ऐसे में यदि खाद्य पदार्थ में मिलावट के कारण बाहर से आने वाले किसी श्रद्धालु के साथ किसी भी तरह की अनहोनी हो जाती है.
तो इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा यह एक बड़ा सवाल है. दुकानदारों द्वारा साफ–सफाई व खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता के हर स्तर पर समझौता कर खाना परोसा जा रहा है. इस वर्ष श्रवणी मेला के दौरान प्रशासनिक स्तर पर इन बातों की लगातार अनदेखी हो रही है. निगम ने साल भर के लिए एकमुश्त 20 लाख 35 हजार के ठेके पर एक ठेकेदार को पूरा ठेका दे दिया है. जो मेले के दौरान भी टैक्स वसूलता है. इस वजह से निगम के पास न अस्थायी दुकानों की सूची व न ही उनका पता–ठिकाना मौजूद है. यही हाल टैक्स कलेक्शन करने वाले विभाग वाणिज्य कर विभाग की भी है.
विभाग के पास भी अस्थायी दुकानों की सूची(संख्या) नहीं है. इससे पहले भी विभागीय पदाधिकारी वाणिज्य कर अंचल अंतर्गत देवघर व जामताड़ा जिले के 4,796 व्यवसायियों से टैक्स वसूलता रहा है.
सैंपल लेने के बाद नहीं हुआ मामला दर्ज : इससे पूर्व के वर्षो में खाद्य उड़नदस्ता टीम द्वारा खाद्य पदार्थो की जांच के बाद सैंपल कलेक्ट कर जांच के लिए भेजा गया. रिपोर्ट आयी भी मगर उनमें से गिने–चुने लोगों पर ही मामला दर्ज किया जा सका. जबकि पिछले वर्ष 2012 के मेले में एक अस्थायी दुकानदार के सैंपल में गड़बड़ी पायी गयी थी. मगर प्रशासन के पास उसका पता–ठिकाना न होने के कारण उस पर कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई.
अनहोनी की जिम्मेवारी किसकी होगी : इतनी खामियों के बाद अगर खाने में गड़बड़ी हो जाय और कोई अनहोनी हो जाय तो इसकी जिम्मेवारी किसकी होगी. मेला क्षेत्र में सैकड़ों ऐसे भोज्य पदार्थ बिक्री करने वाले दुकान हैं. जो पैमाने पर खरा न उतरने के बावजूद धड़ल्ले से कांवरियों के बीच अपने खाद्य पदार्थो की बिक्री कर रहे हैं. इस पर प्रशासन का कोई अंकुश नहीं है.