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लड़खड़ा सकती है स्वास्थ्य व्यवस्था

देवघर: जिला बने 30 साल बीत गये, लेकिन सदर अस्पताल को अब तक जिला अस्पताल का दर्जा नहीं प्राप्त हो सका है. कभी भी इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने जिला अस्पताल का दर्जा दिलाने का प्रयास नहीं किया. वहीं सदर अस्पताल में कई विभागों के खाली डॉक्टर की नियुक्ति के लिए भी आवाज नहीं उठायी. […]

देवघर: जिला बने 30 साल बीत गये, लेकिन सदर अस्पताल को अब तक जिला अस्पताल का दर्जा नहीं प्राप्त हो सका है. कभी भी इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने जिला अस्पताल का दर्जा दिलाने का प्रयास नहीं किया. वहीं सदर अस्पताल में कई विभागों के खाली डॉक्टर की नियुक्ति के लिए भी आवाज नहीं उठायी.

अस्पताल की व्यवस्था पुराने स्ट्रैंथ पर टिकी है. जिले के अन्यत्र अस्पतालों से डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मियों को सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्त कर लोगों को सुविधा मुहैया कराया जा रहा है. सीएम के निर्देश के बाद यहां प्रतिनियुक्त सात डॉक्टर समेत 40 स्वास्थ्यकर्मियों को मूल पदस्थापन स्थान के लिये विरमित कर दिया गया. संभावना है सोमवार को इन सभी को अपने पदस्थापन स्थल के लिये योगदान देने का पत्र भी प्राप्त हो जायेगा. ऐसे में मरीजों को विशेषज्ञ सेवा दिला पाना तो दूर, 24 घंटे स्वास्थ्य सुविधा मिलने पर भी संशय है.

प्रतिनियुक्ति रद्द होने के बाद तो सदर अस्पताल के महिला ओपीडी, अल्ट्रासाउंड कक्ष, एमटीसी सेंटर, पुर्जाघर, जन्म-मृत्यु निबंधन कक्ष व अस्पताल कार्यालय में अब कर्मी ही नहीं बचे. महिला ओपीडी व अल्ट्रासाउंड में तो डॉक्टर ही नहीं रहे. कर्मी के अभाव में एक्सरे, पैथोलॉजी व ब्लड बैंक भी प्रभावित हो सकता है. कान के डॉक्टर नहीं रहे और सजर्री में भी दिक्कत होगी.

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