संवाददाता, देवघरवर्ष 2014 में दो चुनाव ने सरकारी योजनाओं के संचालन पर असर डाला है. इससे सीधे तौर पर आम लोगों को नुकसान हुआ. हालांकि इन योजनाओं को चुनाव से पहले निर्धारित समय पर पूरा करने के लिए विभाग के पास पर्याप्त समय था. बावजूद योजनाएं अधूरी रह गयी. केंद्र सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्र में खर्च की जाने वाली लगभग 100 योजनाएं हैं. इसमें सड़क, पुल-पुलिया व तालाब निर्माण में नन आइएपी मद से खर्च होने वाली पांच करोड़ रुपये जिले के पास पड़ी हुई है. इसमें दो वर्ष के लिए कुल 211 योजनाएं स्वीकृत है. इसमें पिछले वित्तीय वर्ष 2013-14 की 49 योजनाएं लंबित है, जबकि शेष 51 योजनाएं चालू वित्तीय वर्ष की है. नन-आइएपी से विशेष प्रमंडल, जिला परिषद, लघु सिंचाई प्रमंडल व प्रखंडों में विकास योजनाओं की राशि खर्च करने के लिए दी गयी है. इसमें जिला परिषद व विशेष प्रमंडल की अधिकांश योजनाएं अधूरी हैं. समय पर अधिकारियों की मॉनिटरिंग व समीक्षा के अभाव में योजनाएं चुनाव में अटक गयी. अगर बारिश से पहले तालाब निर्माण की योजनाएं पूरी हो जाती तो तालाब में पानी स्टोर किया जा सकता था. गांव में नहीं बन सकी पक्की सड़कें चुनाव का बहाने कार्य धीमी गति से चलता रहा. कई जगह तो स्वीकृत योजनाओं का कार्य भी चालू नहीं हो पाया है. स्वीकृत सड़क गांव में आज भी कई जगह कच्ची है. सुदूर क्षेत्रों के गांवों को मुख्य सड़क से जोड़ने की यह योजना अधर में लटकी हुई है. सड़कों का काम अधूरा रहने से कई गांव मुख्य सड़क से नहीं जुड़ पायी है.
साल भर के अंदर दो चुनाव का असर
संवाददाता, देवघरवर्ष 2014 में दो चुनाव ने सरकारी योजनाओं के संचालन पर असर डाला है. इससे सीधे तौर पर आम लोगों को नुकसान हुआ. हालांकि इन योजनाओं को चुनाव से पहले निर्धारित समय पर पूरा करने के लिए विभाग के पास पर्याप्त समय था. बावजूद योजनाएं अधूरी रह गयी. केंद्र सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्र […]
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