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प्रवचन:::: ज्ञानयोग में ध्यान बहुत कठिन है

परंतु इसका मार्ग योग के अन्य मार्गों की अपेक्षा अधिक सीधा है. यह केवल उच्च आध्यात्मिक साधकों के लिए ही संभव है. इसकी बातें सामान्य आदमी के दैनिक जीवन की भावनाओं तथा अनुभवों के विपरीत होती हैं. इसका कारण यह है कि सामान्य आदमी अक्सर अपनी भावनाओं को ही अभिव्यक्त करता है तथा उसका जीवन […]

परंतु इसका मार्ग योग के अन्य मार्गों की अपेक्षा अधिक सीधा है. यह केवल उच्च आध्यात्मिक साधकों के लिए ही संभव है. इसकी बातें सामान्य आदमी के दैनिक जीवन की भावनाओं तथा अनुभवों के विपरीत होती हैं. इसका कारण यह है कि सामान्य आदमी अक्सर अपनी भावनाओं को ही अभिव्यक्त करता है तथा उसका जीवन एवं गतिविधियां भावनात्मक पृष्ठभूमि के घिसे-पिटे ढर्रे पर ही चलती रहती हैं. ज्ञानयोग में ध्यान तथा एकाग्रता का अभ्यास बड़ा कठिन है. वह सामान्य मनुष्य के लिए साध्य नहीं है. क्योंकि इसमें साधक को निरंतर अपने मन को अवैयक्तिक अशरीरी चेतना पर लगाये रखना होता है. यह ऐसे व्यक्ति के लिए कठिन होता है जो हमेशा देश, काल तथा कार्य-कारण के स्तर पर ही रहता है, जो नाम-रूप से बंधा है, जिसके लिए इनके परे का विचार असंभव है.

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