देवघर: लोगों के हित और न्याय के लिए कानून बनाये गये हैं. देश के सभी कानून संविधान में समाहित हैं. सबों को समय पर न्याय दिलाना कानून का मूल मंत्र है, लेकिन न्यायालय में कानूनी दावं-पेच में मुकदमा लंबे अंतराल तक चलने से लोगों को न्याय के इंतजार में वर्षो कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाने पड़ते हैं.
दूर-देहात से पैदल चल कर न्याय के लिए वर्षो मुकदमे लड़ने वालों में महिला व पुरुष दोनों को मुकदमों की पैरवी में आना पड़ता हैं. एक महिला जसीडीह थाने के कुंजीसार गांव की है. कहती हैं कि आपसी विवाद जमीन बंटवारे को लेकर वर्ष 2005 में हुआ. मारपीट जम कर हो गयी. अपने ही भैयाद के लोगों ने मारपीट के अलावा अभद्रता की.
साथ ही पलटा मुकदमा भी कर दिया. पहले तो जमानत का चक्कर लगा. फिर केस अनुसंधान की प्रक्रिया में देरी हुई. पुनश्च आरोप पत्र दाखिल हुआ. कोर्ट में अभिलेख का एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट में होने का क्रम जारी रहा. फिलहाल एसडीजेएम देवघर की अदालत में मुकदमा विचाराधीन है. मुकदमा कचहरी के दावं पेच में उलझते सात साल गुजर गया.