मधुपुर/देवीपुर: विस्थापन का नाम सुनते ही हम ग्रामीणों को भय सताने लगता है. अपनी जमीन बेच विस्थापित होकर आखिर रिफ्यूजी की जिंदगी क्यों जियें..कौन हमें जमीन के बदले जमीन देगा. या फिर हमें भी पुनासी जलाशय, कृष्णा जलाशय, अजय बराज, बुढ़ई जलाशय आदि जगहों से हुए हजारों विस्थापितों की तरह जद्दोजहद करनी पड़ेगी.
जान दे देंगे पर किसी भी हाल में जमीन नहीं देंगे.. यह आवाज देवीपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत उन 16 गांव के ग्रामीणों की है, जहां अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट लगाने को लेकर 2,256 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की तैयारी चल रही है.
मंगलवार को करीब 16 गांव के प्रधान व ग्रामीणों ने एकजूट होकर हुसैनाबाद में बैठक की. इसमें सर्वसम्मति से ग्रामीणों ने जमीन बचाओ, जीवन बचाओ संघर्ष समिति का गठन किया. हजारों की संख्या में ग्रामीण संकल्पित होकर गांव में पावर प्लांट के लिए जमीन नहीं देने का निर्णय लिया है. साथ ही ग्रामीणों ने कहा कि विरोध का स्वर उठ चुका है, अगर आंदोलन करनी होगी तो किया जायेगा. किसानों की जमीन छिनने नहीं दी जायेगी.
इन गांवों के लोगों ने जताया विरोध
विरोध करने वालों में चितरपुर, मर्दनडीह, कटघरी, समलापुर, फूलकरी, पाटोपहाडी, अमजोरा, बनगोडा, धोरसा, दूहो सुहो, झूण्डी, जमुनियां, हुसैनाबाद, भंगोरा, भरतडीह, मडरो, लेडवा, मगुवाकलानी, मंझलाडीह व पूर्णिया आदि के ग्रामीण व प्रधान शामिल हैं.
जलवे पहाड़ पर भी है खतरा
मेगा पावर प्लांट के नाम पर कंपनी की नजर जलवे पहाड़ पर भी है. हुसैनाबाद के इस प्राकृतिक धरोहर पर भी खतरा मंडरा रहा है. ग्रामीण बुधन किस्कू, महा सोरेन, बासदेव महता, अकबर अली, नयका मरांडी, सलीम अंसारी, अंसार अहमद, तेतर यादव, हाजी कुर्बान, अताउल अंसारी, महेश्वर यादव आदि ग्रामीणों ने कहा कि भूमि अधिग्रहण से न सिर्फ जमीन व प्राकृतिक धरोहर भी नष्ट हो जायेंगे, बल्कि करीब 100 घर बेघर हो जायेंगे.
ये भी थे मौजूद
एकता परिषद के संताल परगना प्रभारी प्रदीप कुमार सिंह, समाजसेवी अबू तालिब अंसारी, प्रधान छेदू मंडल, बुधन किस्कू, उमेश दास, गुही मंडल, रसीद मियां, शंभू पंडित, दिनेश यादव, शिबू सोरेन, नूनूलाल मरांडी मौजूद थे.