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नशे की लत में पड़कर बर्बाद हो रहे टीनएजर्स

मधुपुर : अनुमंडल क्षेत्र में तेजी से टीनएजर्स नशे की लत को पकड़ते जा रहे हैं. अलग अलग उम्र के नाबालिग अपने अपने दोस्तों के साथ मिलकर शाम या दोपहर को नियमित रूप से नशा का सेवन कर रहे हैं. बताया जाता है कि शहर के रेलवे फुटबॉल मैदान, झील तालाब के निकट, सपहा सेठ […]

मधुपुर : अनुमंडल क्षेत्र में तेजी से टीनएजर्स नशे की लत को पकड़ते जा रहे हैं. अलग अलग उम्र के नाबालिग अपने अपने दोस्तों के साथ मिलकर शाम या दोपहर को नियमित रूप से नशा का सेवन कर रहे हैं. बताया जाता है कि शहर के रेलवे फुटबॉल मैदान, झील तालाब के निकट, सपहा सेठ विल्ला, रेलवे साइडिंग के अलावा कई अन्य जगहों पर ये लोग इकट्ठा होकर अलग अलग तरह के नशा नियमित रूप से करते हैं. रविवार को ऐसा ही मामला आया जिसमें नशा के आदि दसवीं कक्षा के नाबालिग छात्र ने आरपीएफ के समक्ष कई चौंकाने वाले खुलासे किये.

आरपीएफ ने नियमित जांच के दौरान शहर के बेलपाड़ा के एक बच्चे को पूर्वी आउटर सिग्नल के पास रेलवे पटरी पर अनाधिकृत रूप से भ्रमण करते पकड़ा. जबकि उसके चार-पांच अन्य साथी भाग निकला. नाबालिग ने बताया कि शहर के दो दवा दुकानों से बिना कोई पर्ची के आसानी से नशीली दवा, सिरफ व सूई मिल जाता है.
इसके लिए दुकानदारों ने कोड वर्ड नाम दे रखा है. ताकि भीड़ में कोड वर्ड से ही दवा की मांग करे. बताया जाता है कि कॉरेक्स, टॉसेक्स के अलावा वेलियम टेन, अल्प्राजोलम जैसे नींद की गोली के साथ ही फोटविल, रिडॉफ जैसे कई नशीली सूई नाबालिगों को बिना कोई पर्ची के दुकानदार बेच रहे है.
कक्षा नौ,10 व इंटर में पढ़ने वाले बच्चों के अलावा ट्रेनों में साफ सफाई करने वाले बच्चे समेत कचड़ा चुनने वाले बच्चे भी इन नशीली दवाओं के अलावा डेंडराइट, सोलूशन, आइओडेक्स का प्रयोग नशा के लिए कर रहे है. ये तीनों सामान भी गांधी चौक के दो-तीन दुकानों से बच्चे बेरोक टोक खरीद रहे है. कम पैसे में बच्चे इन सामानों से नशा कर लेते है.
इसके अलावा सिगरेट में भरकर गांजा का भी सेवन करते है, जो स्टेशन रोड और डालमिया कूप के निकट आसानी से मिल जाते है. पढ़ाई करने वाले बच्चे तो नशा सेवन के कुछ देर बाद घर चले जाते है. लेकिन ट्रेनों में साफ सफाई व कचड़ा चुनने वाले अधिकतर बच्चे रैन बसेरा या स्टेशन के मुसाफिर खाना में ही अपना रात गुजारते हैं.
इनमें कई बच्चे नशा के लिए छोटे मोटे चोरी की घटना को अंजाम देने से भी पीछे नहीं हटते हैं. कई बार स्थानीय पुलिस या रेल पुलिस ने नशा करते बच्चों को पकड़ा है और उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए परिजनों के हवाले कर दिया है.
लेकिन जब तक नशा बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी तब तक इसे रोकना संभव प्रतीत नहीं होता है. जानकारों की माने तो डेंडराइट और व्हाइटनर का ज्यादा सेवन सीधे दिमाग पर अटैक करता है, जिससे दिमाग की नसें सूखने लगती हैं और सोचने की क्षमता कम होती जाती है.
कहते है चिकित्सक
अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक डा. सुनील मरांडी ने कहा कि बिना पर्ची के किसी भी तरह की नशीली दवा या सुई बेचना अवैध है. इस तरह के नशे से बच्चों का मानसिक व शारीरिक विकास अवरुद्ध होता है. इसके नियमित सेवन से साइड इफेक्ट के कारण कई और बीमारी जन्म लेती है.

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