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हर पल मौत के मुहाने पर भक्तों की जान
देवघर : हादसे कब और किस रूप में हो जाएं, यह कोई नहीं जानता. लेकिन, अगर समय रहते कारगर कदम उठाया जाये तो कई हादसे टाले जा सकते हैं. लेकिन, कई बार ऐसा होता है कि जानबूझ कर हादसे का इंतजार किया जाता है या फिर एक अनदेखी बड़े हादसे की वजह बन जाता है. […]
देवघर : हादसे कब और किस रूप में हो जाएं, यह कोई नहीं जानता. लेकिन, अगर समय रहते कारगर कदम उठाया जाये तो कई हादसे टाले जा सकते हैं. लेकिन, कई बार ऐसा होता है कि जानबूझ कर हादसे का इंतजार किया जाता है या फिर एक अनदेखी बड़े हादसे की वजह बन जाता है.
इसके बाद विभाग व प्रशासन लीपापोती में जुट जाता है. बाबाधाम में भी हर पल श्रद्धालुओं की जान सांसत में पड़ी है. मानसिंघी से बाबा मंदिर तक श्रद्धालुओं को कतारबद्ध करने के लिए बनाये गये फूट ओवरब्रिज के पिलर से ठीक सटाकर बिजली का मोटा-मोटा तार बिछाया गया है. पिलर के ठीक नीचे एक बिजली का पोल भी है जिसमें तारों का जंजाल लगा हुआ है.
एक तरफ फूट ओवर ब्रिज पर श्रद्धालुओं की कतार पार होती है और नीचे काफी संख्या में दुकानें भी हैं. जिनमें कई चाय दुकान भी हैं. अगर एक चिंगारी भी तार की चपेट में आ जाये तो कभी भी कोई बड़ी घटना हो सकती है. फूट ओवर ब्रिज संकरा होने के कारण अफरातफरी मचने पर कई जिंदगी खतरे में पड़ सकती है.
एक लापरवाही पड़ सकती है भारी
बाबा नगरी में मलमास मेला चल रहा है. देश के राजस्थान, एमपी, यूपी, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब से भक्त पहुंच रहे हैं. प्रतिदिन 100 से अधिक बस बाबाधाम पहुंच रही है. इसके बाद श्रावणी मेला आरंभ हो जायेगा. जिसमें लाखों श्रद्धालु पहुंचेंगे. ऐसे में विभाग की एक लापरवाही भारी पड़ सकती है.
कई दुकानदारों ने तार में ही बांध रखी है रस्सी
ब्रिज के नीचे के दुकानदार भी खतरे को आमंत्रित कर रहे हैं. बिजली के कवर तार में रस्सी बांध रखी है. अपने दुकानों के बाहर पॉलीथिन लटका रखा है. कुछ दुकानदार घर का खाना भी दुकान में ही बनाते हैं. ऐसे में आग लगने की संभावना बनी रहती है.
बिजली विभाग का अपना ही तर्क
कार्यपालक अभियंता डीएन साहु कहते हैं कि अंडरग्राउंड केबलिंग के तहत फुट अोवरब्रिज के दोनों अोर ट्रांसफाॅर्मर स्थापित किया गया है. स्थानीय उपभोक्ताओं के लिए सर्विस वायर की जगह एक ही एबी केबुल लगाया जायेगा. सावन से पहले लगभग एक तिहाई केबुल हटा दिया जायेगा. एबी केबुल पूरी तरह से सुरक्षित है. जो टफ रबर से निर्मित हैवी ड्यूटी का होता है. साथ ही केबुल पूरी तरह से इंसूलेटेड होता है. जो आसानी से काटा या क्षतिग्रस्त नहीं किया जा सकता है. ऐसे में केबुल से बिजली लीक होने की संभावना न के बराबर है. भले ही कार्यपालक अभियंता केबुल पूरी तरह से सुरक्षित होने का दावा करें. लेकिन, आग जैसी घटनाओं या फिर रबर खराब होने पर अगर किसी प्रकार की घटना होगी तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा यह बड़ा सवाल है.
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