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आजाद परिहस्त को हो गई थी खतरे की आशंका

देवघरः अक्षय उर्फ आजाद परिहस्त हत्याकांड में जैसे-जैसे दिन गुजरता जा रहा है वैसे-वैसे कई मामले उजागर हो रहे हैं. इस संबंध में परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार घटना से कुछ दिन पहले ही अक्षय को खतरे की आशंका हो गई थी. टैंपो मामले में विवाद बढ़ने व सफेदपोश दबंग द्वारा पिटाई किये जाने […]

देवघरः अक्षय उर्फ आजाद परिहस्त हत्याकांड में जैसे-जैसे दिन गुजरता जा रहा है वैसे-वैसे कई मामले उजागर हो रहे हैं. इस संबंध में परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार घटना से कुछ दिन पहले ही अक्षय को खतरे की आशंका हो गई थी. टैंपो मामले में विवाद बढ़ने व सफेदपोश दबंग द्वारा पिटाई किये जाने के बाद उसने अपने चचेरे बड़े भाई से जान पर खतरे की आशंका जाहिर की थी. मारपीट की घटना के बाद से लगातार उसके घर के सामने कुछ लोग बुलेट से तथा चार पहिया वाहन से चक्कर लगाया करते थे.

बीच-बीच में कुछ लोग घर में आकर उसके विषय में पूछताछ किया करते थे. घरवाले बाहर रहने की बात कह कर टाल दिया करते थे. परिजनों ने बताया कि इसी दौरान एक बार आजाद टावर चौक के समीप अपने दोस्तों के साथ किसी काम से गया हुआ था. तो अचानक उसे वहां एक लड़का दिखा जो थोड़ी देर बाद वह गायब हो गया. खतरे की आशंका देख अक्षय फौरन उस जगह से हट कर दूर से सारा माजरा देखने लगा. थोड़ी देर में वहां कई लोग जमा हो गये थे. इस बात से अक्षय उर्फ आजाद की चिंता बढ़ गई थी.

घरवालों ने दी थी शहर छोड़ने की सलाह : मामले की जानकारी जब घरवालों को हुई तो उन लोगों ने 10-12 दिनों के लिए शहर छोड़ देने की सलाह दी. मगर फिर भी वह देवघर में ही रह गया. घरवाले दस दिनों से उसे घर से निकलने नहीं दे रहे थे. परिजनों ने दुख जताते हुए कहा कि काल को कौन टाल सकता है. जो नुकसान होना था वो तो हमारे परिवार का हो गया.

विवाद सुलझाना चाहत थे परिजन : टेंपों से शुरू हुए विवाद को घरवाले सुलझाना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने चुनाव के बाद का समय तय किया था. परिजन कहते हैं चुनाव में वाहनों की धड़-पकड़ के बाद टैंपो की मांग बढ़ जायेगी. इस बीच आठ-दस दिनों में अच्छी कमाई हो जायेगी. तो उसी पैसे से इंट्री फीस दे दिया जायेगा और मामले का भी निदान निकल आयेगा. मगर चुनाव खत्म होते ही थोड़े सुस्त पड़े और आजाद की हत्या कर दी गयी.

चुनाव खत्म होने का इंतजार तो नहीं कर रहे थे हत्यारे! : सूत्रों की मानें, तो आजाद की हत्या की योजना चुनाव से पहले ही बन चुकी थी. लोकसभा चुनाव के दौरान हर कोई अपने काम से व्यस्त था. बाहर से भारी पैमाने पर सुरक्षा बल भी तैनात किये जाने से शहर में पुलिस की गतिविधि भी बढ़ गई थी. इसलिए चुनाव के दौरान कोई किसी तरह का रिस्क लेना नहीं चाहता था. चुनाव समाप्त होने के कुछ दिनों बाद हालात सामान्य देख आजाद घर से बाहर निकला और मौके की तलाश में बैठे हत्यारों ने घटना को अंजाम दे दिया.

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