बरहरवा/उधवा : पूरे झारखंड में केवल साहिबगंज जिले से गुजरने वाली गंगा के उदयनाला से उधवा प्रखंड क्षेत्र के बेगमगंज हाटपाड़ा गांव के समीप मछुआरों ने मछली मारने के क्रम में सोस डॉल्फिन को पकड़ा. मछुआरों ने डॉल्फिन को आम मछली समझ मार कर खा गये. भारत की राष्ट्रीय जलीय जीव गंगा डॉल्फिन की प्रजाति […]
बरहरवा/उधवा : पूरे झारखंड में केवल साहिबगंज जिले से गुजरने वाली गंगा के उदयनाला से उधवा प्रखंड क्षेत्र के बेगमगंज हाटपाड़ा गांव के समीप मछुआरों ने मछली मारने के क्रम में सोस डॉल्फिन को पकड़ा. मछुआरों ने डॉल्फिन को आम मछली समझ मार कर खा गये. भारत की राष्ट्रीय जलीय जीव गंगा डॉल्फिन की प्रजाति विलुप्त प्राय है.
इसे गंगा का गाय भी कहते हैं. डॉल्फिन मिलने के बाद पूरे इलाके में यह खबर आग की तरह फैली और इसे देखने के लिए काफी संख्या में लोग इक्ट्ठा हो गये. सोमवार को दिन में मछुआरों ने डॉल्फिन को पकड़ा था. शाम होते-होते मार कर खा गये. डॉल्फिन मिलने की सूचना से वन विभाग व पुलिस पूरी तरह से अनजान रही.
2009 में घोषित हुआ राष्ट्रीय जलीय जीव : डॉल्फिन को केंद्र सरकार ने पांच अक्तूबर 2009 को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया.
उधवा में डॉल्फिन को…
वर्तमान समय में इसकी अनुमानित संख्या 1200-1800 के बीच है. यह प्राचीन जीव करीब 10 करोड़ साल से भारत में मौजूद है. केंद्र सरकार ने इसे भारतीय वन्य जीव संरक्षण के दायरे में शामिल कर रखा है. गंगा डॉल्फिन नेत्रहीन और स्तनपायी जलीय जीव है. इसकी घ्राणशक्ति अत्यंत तीव्र होती है. यह मांसाहारी जलीय जीव है तथा इसके शिकार पर पूरी तरह से रोक है. गंगा प्रदूषित होने के कारण इसकी संख्या दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है. इसकी औसत आयु 27 वर्ष रिकाॅर्ड की गयी है.
क्या कहते हैं डीएफओ………
डॉल्फिन हमारा राष्ट्रीय जलीय जीव है. इसका शिकार करने नहीं दिया जायेगा. डॉल्फिन मिलने की सूचना पर वन विभाग की टीम भेजी गयी है. जांच कर कार्रवाई की जायेगी.
– मनीष तिवारी, डीएफओ,
फोटो-10 मनीष तिवारी
गंगा के उदयनाला से मिला था डॉल्फिन
डॉल्फिन को बचाने के लिए चल रहा है अभियान
विलुप्त होने के कगार पर है डॉल्फिन
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
पर्यावरणविद् सह भू-वैज्ञानिक व साहिबगंज महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ रंजीत कुमार सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने डॉल्फिन को लेकर काफी कड़े नियम बनाये हैं और इनका शिकार प्रतिबंधित है. गंगा की गाय कही जाने वाली गंगा डॉल्फिन पूरे भारत में विलुप्त होने के कगार पर है. गंगा प्रदूषित होने के कारण इसकी संख्या दिन प्रतिदिन घट रही है. इसे लेकर सरकार को जागरुकता फैलाने की जरूरत भी है ताकि ग्रामीण इसका शिकार न करें.