नयी दिल्ली/देवघर : राघव लखनपाल द्वारा सदन में लाये गये जनसंख्या विस्फोट पर प्रस्ताव का समर्थन करते हुए सांसद निशिकांत ने कहा कि जनसंख्या विस्फोट के कई प्रकार हैं. इसके बहुत आयाम हैं. एक आयाम यह है कि जिसके बारे में राघव लखनपाल साहब ने कहा कि एक समुदाय विशेष इन चीजों को नहीं मान रहा है. वह यह सोचता है कि जनसंख्या आगे बढ़ाना उनका परम कर्तव्य है. इसको रोकने के लिए क्या हो सकता है ?
दूसरा, पूरे देश में यह कहीं-न-कहीं भावना है कि लोगों की बेटों के प्रति जो ललक है, सेक्स डिटर्मिनेशन की जो ललक है, वह भी जनसंख्या को बढ़ाता है कि यदि बेटा नहीं होगा तो खानदान कैसे बढ़ेगा. इसका मतलब कि दो बच्चों को कांन्सेप्ट यहां धाराशायी हो जाता है. तीसरा, पूरी की पूरी डेमोग्राफी को आपके यहां कम, लेकिन जो पूरे देश की डेमोग्राफी को बदल रहा है, वह है माइग्रेशन. बांग्लादेश से घुसपैठिए आ रहे हैं, गैर-कानूनी उत्प्रवासी हैं.
इस तरह, तीन प्रकार की समस्याएं हैं, जो जनसंख्या को बढ़ावा दे रही हैं और उसके लिए भारत सरकार को एक कॉम्प्रीहैन्सिव नीति बनाने की आवश्यकता है. यह जो पूरा प्रस्ताव है और उसका प्रस्ताव में जो चीजें हैं कि जैसे ही जनसंख्या बढ़ती है तो एक बात यह होती है, जिसमें हम कहते हैं कि भारत एक ऐसे देश के रूप में बन रहा है, जिसमें युवा बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं. जिसे हम डेमोग्राफिक डिविडेंड कहते हैं. हम कहते हैं कि हमारे यहां यूथ्स की इतनी फोर्स पैदा हो रही है कि दुनिया में हम कैसे आगे बढ़ेंगे, अपने देश को कैसे आगे बढ़ायेंगे, वह एक सवाल उठता है. दूसरा सवाल यह है कि उसके साथ जो दूसरा रिपरकशन है कि जितने यूथ बढ़ रहे हैं, उतने ही लोग बूढ़े हो रहे हैं तो बूढ़ों के प्रति हम क्या करें ? तीसरा सवाल यह है कि हम बच्चों के प्रति क्या करें? इस पॉपुलेशन ग्रोथ से जो मायने निकलते हैं, वे तीन तरह के हैं.