देवघर : गिरिडीह में मरणासन्न इंडियन स्टेटिकल इंस्टीट्यूट (आइएसआइ) के सेंटर को जीवन दान मिलेगा. इसके लिए आइएसआइ, कोलकाता ने कार्रवाई तेज कर दी है. दरअसल, गिरिडीह के एक चर्चित व्यक्ति महाल नोबिस ने
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गिरिडीह के इंडियन स्टेटिकल इंस्टीट्यूट को मिला जीवन दान
देवघर : गिरिडीह में मरणासन्न इंडियन स्टेटिकल इंस्टीट्यूट (आइएसआइ) के सेंटर को जीवन दान मिलेगा. इसके लिए आइएसआइ, कोलकाता ने कार्रवाई तेज कर दी है. दरअसल, गिरिडीह के एक चर्चित व्यक्ति महाल नोबिस ने गिरिडीह के इंडियन स्टेटिकल इंस्टीट्यूट… अपनी पूरी संपत्ति आइएसआइ सेंटर के नाम दान में दे दी. उन्होंने इंडियन स्टेटिकल इंस्टीट्यूट कोलकाता […]
गिरिडीह के इंडियन स्टेटिकल इंस्टीट्यूट…
अपनी पूरी संपत्ति आइएसआइ सेंटर के नाम दान में दे दी. उन्होंने इंडियन स्टेटिकल इंस्टीट्यूट कोलकाता को दान में जमीन देते वक्त कहा कि गिरिडीह में उनकी जमीन पर सेंटर खुले. यहां रिसर्च संबंधी काम हो. सेंटर खुला भी, लेकिन उपेक्षित होकर मरणासन्न स्थिति पर पहुंच गया. नतीजा यह हुआ कि धीरे-धीरे केंद्र के लिए दान में दी गयी जमीन का अतिक्रमण होने लगा. सांसद निशिकांत की पहल पर अब आइएसआइ मुख्यालय के संज्ञान में आया.
मुख्यालय ने एक उच्चस्तरीय कमेटी बनायी. कमेटी ने जांचोपरांत प्रस्ताव दिया कि गिरिडीह संस्थान की जमीन पर भू-माफियाओं की नजर है. जमीन का अतिक्रमण हो रहा है. अविलंब जमीन की घेराबंदी की जाये ताकि संस्थान की जमीन को अतिक्रमण से बचाया जा सके.
आधारभूत संरचना का होगा विकास
कमेटी ने कहा है कि इतने सालों गिरिडीह आइएसआइ संस्थान की जमीन पर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलमेंट प्रोजेक्ट पर काम होना चाहिए. बिना विलंब किये सारे काम जल्द कराये जायें ताकि गिरिडीह में इंडियन स्टेटिकल इंस्टीट्यूट का केंद्र पूर्णरूपेण संचालित हो सके.
केंद्र सरकार देगी पर्याप्त फंड
इस संस्थान को खोलने और इनफ्रास्ट्रक्चर डेवलमेंट के लिए केंद्र सरकार ने अपने नन-बजट में प्रावधान किया है. नार्थ-इस्ट स्टेट के सेंटर के डेवलपमेंट के लिए केंद्र ने 274 करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं. केंद्र ने सभी सेंटरों को डेवलप करने के लिए काम तेजी लाने का भी निर्देश दिया है.
अब जनसंख्या संबंधी शोध झारखंड में ही होगा : निशिकांत
देवघर. गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने बताया कि गिरिडीह के रहनेवाले जाने-माने सांख्यिकी विशेषज्ञ पीसी महालनोबिस ने अपनी सारी संपत्ति को इंडियन स्टेटिकल इंस्टीट्यूट का सेंटर खोलने के लिए दान में दे दी. लेकिन मुख्यालय ने इस ओर अब तक ध्यान नहीं दिया. जब यह मामला मेरे संज्ञान में आया, तो मैंने मंत्रालय और आइएसआइ मुख्यालय कोलकाता के अधिकारियों से बात की. जल्द गिरिडीह सेंटर को चालू करने की मांग की. तब मुख्यालय गंभीर हुआ है. अब इलाके के खुशखबरी है कि गिरिडीह में सेंटर खोलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. अब जनसंख्या संबंधी शोध झारखंड में ही होगा.
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