इसके लिए -गोड्डा के धमड़ी में सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र विस्तार परियोजना की स्थापना हुई है. क्या है कांसेप्ट, कैसे आय होगी दोगुनी, कितना होगा किसानों को फायदा. इन सभी मुद्दों पर प्रभात खबर ने गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे से बातचीत की.
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इत्र पार्क के फायदे पर बोले सांसद निशिकांत दुबे, वैकल्पिक खेती की तकनीक सीखेंगे किसान, किसानों की आय 50 हजार से एक लाख प्रति एकड़ हो जायेगी
देवघर: संताल परगना का इलाके में कृषि आधारित उद्योग की प्रचूर संभावनाएं हैं. लेकिन यहां के किसान आज तक सिर्फ धान व गेहूं की खेती करते हैं. उन्हें आधुनिक खेती की तकनीक का लाभ नहीं मिल पा रहा है. संताल में किसानों को बेहतर कृषि सुविधाएं मिले, आधुनिक तकनीक से खेती करें और आय दोगुनी […]
देवघर: संताल परगना का इलाके में कृषि आधारित उद्योग की प्रचूर संभावनाएं हैं. लेकिन यहां के किसान आज तक सिर्फ धान व गेहूं की खेती करते हैं. उन्हें आधुनिक खेती की तकनीक का लाभ नहीं मिल पा रहा है. संताल में किसानों को बेहतर कृषि सुविधाएं मिले, आधुनिक तकनीक से खेती करें और आय दोगुनी करें.
सवाल : सुगंध व सुरस विकास केंद्र विस्तार परियोजना, कहां का कांसेप्ट है?
जवाब : इस परियोजना की सबसे पहले स्थापना 1991 में कन्नौज में हुई थी. दरअसल एक बार मैं फ्रांस गया था. वहां के ग्रास नामक छोटे से गांव के हर घर में इत्र की फैक्टरी थी. वहां का प्रोडक्ट पूरी दुनियां में मशहूर है. वहीं से कांसेप्ट लेकर भारत में सबसे पहले कन्नौज जहां पहले से ही इत्र का उत्पादन होता था, स्थापित किया गया. दूसरी परियोजना ओड़िशा, तीसरी मणिपुर और अब चौथा गोड्डा के धमड़ी में स्थापित हो रहा है.
सवाल : इस विस्तार केंद्र में क्या क्या होगा?
जवाब : इस परियोजना के तहत पहले 20 एकड़ जमीन पर गोड्डा में और दस एकड़ जमीन पर देवघर में सुगंध व सुरस उत्पाद को तैयार करने का काम शुरू होगा. यहां तेल, इत्र व विभिन्न प्रकार का फ्लेवर तैयार होगा. गोड्डा में तैयार उत्पाद की मार्केटिंग देवघर में होगी.
सवाल : किसानों की आय दोगुनी करने का उद्देश्य कैसे पूरा होगा?
जवाब : परियोजना का उद्देश्य किसानों का विकास करते हुए इंडस्ट्री की ओर डेवलप करना है. यहां इस उत्पाद के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट के काम होंगे. वैज्ञानिक आयेंगे और किसानों को नयी तकनीक से वैकल्पिक खेती की तकनीक सिखायेंगे. इस तकनीक का उपयोग करके किसान धान-गेहूं के अलावा वैकल्पिक खेती करेंगे.
सवाल : किसान इस परियोजना से जुड़ें तो कितनी आमदनी होगी?
जवाब : किसान धान गेहूं के अलावा जब वैकल्पिक खेती करेंगे. धान व गेहूं के अलावा सहजन, खस सहित एरोमा के 32-33 प्रकार की खेती करेंगे तो उनकी आमदनी 50 हजार से एक लाख रुपये प्रति एकड़ तक होगी. इस परियोजना से अधिक से अधिक किसान जुड़ें और लाभ उठायें.सवाल : परियोजना में पशुपालन का क्या कांसेप्ट है?
जवाब : किसानों को खेती के अलावा आय दोगुनी करने के लिए गाय पालन, बकरी पालन, मछली पालन, सूअर पालन, मुर्गी पालन करें. इसके लिए रिसर्च एंड डेवलप सेंटर में किसानों को कैसे पालन किया जाता है. सभी गुर सिखाये जायेंगे. सरकार इसे प्रोत्साहन भी देगी.
सवाल : उत्पादों के मार्केटिंग की क्या व्यवस्था होगी?
जवाब : इस परियोजना के तहत गोड्डा में तैयार इत्र व सुगंधित उत्पादों के लिए देवघर में मार्केटिंग की व्यवस्था की जा रही है. देवघर में एफएफडीसी का अॉफिस खुलेगा. क्योंकि तैयार उत्पादों के लिए किसानों को बेहतर मार्केटिंग की सुविधा मिलना जरूरी है. सरकार किसानों का उत्पाद खरीदेगी.
सवाल : किसानों को सरकार क्या देगी प्रोत्साहन?
जवाब : इस परियोजना से जुड़ कर किसान यदि संपन्न हैं तो वे चाहें तो अपना इत्र संयंत्र डेवलप कर सकते हैं. इसके लिए एमएसएमइ प्रोत्साहन देगी. सरकार किसानों को सहायता भी देगी. वहीं एफएफडीसी तकनीकी सुविधाएं मुहैया करायेगा.
सवाल : रोजगार उपलब्ध कराने में परियोजना कितनी सहायक होगी?
जवाब : इस परियोजना में जुड़ने की कोई सीमा नहीं है. चाहे जितने किसान इससे जुड़ कर खेती करें. फिलहाल तो क्लस्टर बनाकर पांच गांवों में यह शुरू किया जा रहा है. लेकिन इसका दायरा बड़ा है. किसान जुड़ते जायेंगे तो हजारों-लाखों किसानों की आय दोगुना करने में यह सहायक होगा.
पलायन रोकने में यह कितना कारगर होगा?
जवाब : गोड्डा और पूरे संताल से हर साल पलायन होता है. जब यहां के लोगों को घर में ही खेती का वैकल्पिक उपाय मिलेगा, उत्पादन करके आय होगा तो लोग बाहर नहीं जायेंगे. किसान जिनके पास जमीन है सहजन, लेमन ग्रास, खस और फूलों की खेती करके आय दोगुनी-चौगुनी कर सकते हैं.
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