पति के अनुसार, नौ माह से सरिता का इलाज उक्त क्लिनिक से चल रहा था. रविवार को उसे भरती कराया गया. इसके बाद नॉर्मल डिलिवरी का इंतजार होता रहा. परिजन आरोप लगा रहे थे कि डॉक्टर के देखे बिना क्लिनिक के स्टॉफ ने ही डिलिवरी करायी. इसके बाद अचानक जच्चा-बच्चा की हालत बिगड़ गयी और दोनों की मौत हो गयी. परिजन यह भी आरोप लगा रहे थे कि मौत के बाद शव को एंबुलेंस में लेकर जाने लगे, तो यह देखकर वे लोग विरोध जताने लगे. परिजनों को उग्र होता देख नगर थाना को सूचित किया गया.
सूचना मिलते ही नगर थाना से एएसआइ जीके मित्रा सहित एएसआइ रामानुज सिंह व एएसआइ सुबोध राम सशस्त्र बलों के साथ पहुंचे और परिजनों को शांत कराया. मामले की सूचना मिलते ही विधायक नारायण दास समेत वार्ड पार्षद रीता चौरसिया, पूर्व पार्षद अनुप वर्णवाल, आइएमए सदस्य डॉ डी तिवारी, डॉ जेके चौधरी, डॉ रमण कुमार, डॉ मनोज गुप्ता, डॉ गोपाल जी शरण, डॉ एनसी गांधी, डॉ राजीव कुमार, डॉ रेणु सिन्हा, डॉ अमित कुमार व अन्य पहुंचे. दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने का प्रयास किया गया. परिजन डॉक्टर द्वारा इलाज संबंधित कागजात की मांग पर अड़े रहे. कागजात को लेकर काफी देर तक किचकिच होती रही. बाद में डॉक्टर से परिजनों को इलाज संबंधित कागजात मिला, तब शव लेकर वे लोग चले गये. इस संबंध में उक्त क्लिनिक के डॉक्टर मामले में किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से इनकार कर गये. नगर पुलिस ने कहा कि जच्चा-बच्चा की मौत के बाद हंगामे की सूचना पर वे लोग पहुंचे.
करीब तीन घंटा बाद परिजन जच्चा-बच्चा का शव लेकर चले गये. समाचार लिखे जाने तक इस संबंध में कोई शिकायत नगर थाना में दर्ज नहीं करायी गयी है. पूछने पर विधायक नारायण दास ने बताया कि घटना की सूचना पर वे मानवीय संवेदना को लेकर देखने पहुंचे.