रामसहाय महतो ने बताया कि जनप्रतिनिधि भी जर्जर सड़क को दुरुस्त कराने के प्रति गंभीर नहीं हैं. कई बार जनप्रतिनिधियों से सड़क निर्माण कराने की मांग की गयी, लेकिन आश्वासन के अलावे कुछ नहीं मिला. मुकेश मेहता ने बताया कि सड़क नहीं बनने से लोग परेशान हैं. ज्यादा परेशानी किसानों को सब्जी ले जाने व लाने में होती है.
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सोकी-पिंडारकोंन पथ पर पैदल चलना भी मुश्किल
मयूरहंड: सोकी-पिंडारकोंन पथ बदहाल हो गया है. सड़क इतनी बदहाल है कि इस पर पैदल चलना भी मुश्किल है. जर्जर सड़क की वजह से हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है. यह सोकी को बरही से जोड़ने वाली मुख्य सड़क है. प्रतिदिन इस सड़क से सोकी, करमा, मंझगवां व पंदनी के लोग बरही आना-जाना करते […]
मयूरहंड: सोकी-पिंडारकोंन पथ बदहाल हो गया है. सड़क इतनी बदहाल है कि इस पर पैदल चलना भी मुश्किल है. जर्जर सड़क की वजह से हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है. यह सोकी को बरही से जोड़ने वाली मुख्य सड़क है. प्रतिदिन इस सड़क से सोकी, करमा, मंझगवां व पंदनी के लोग बरही आना-जाना करते हैं. वहीं ढेबादरी, सोकी, ढोढ़ी, मंधनिया, चेरी समेत कई अन्य गांव के किसान सब्जी बेचने बरही बाजार जाते हैं.
क्या कहते हैं लोग
सोकी निवासी ईश्वरी मेहता का कहना है कि आजादी के बाद से आज तक इस सड़क पर कालीकरण कार्य नहीं हुआ है. ग्रामीण हर साल चंदा कर जर्जर सड़क के गड्ढे को भर कर चलने लायक बनाते हैं.
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