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केंदू पत्ता बेच कर चार माह की जीविका चलाते हैं लोग

चतरा : जिले के करीब दो लाख लोग केंदू पत्ता बेच कर करीब चार माह तक अपनी जीविका चलाते हैं. जिले के सिमरिया, लावालौंग, कुंदा, प्रतापपुर, हंटरगंज व पत्थलगड्डा प्रखंड के लोग बड़े पैमाने पर केंदू पत्ता बेचते हैं. इस कार्य में उनका पूरा परिवार लगा रहता है. ये लोग सुबह चार बजे घर से […]

चतरा : जिले के करीब दो लाख लोग केंदू पत्ता बेच कर करीब चार माह तक अपनी जीविका चलाते हैं. जिले के सिमरिया, लावालौंग, कुंदा, प्रतापपुर, हंटरगंज व पत्थलगड्डा प्रखंड के लोग बड़े पैमाने पर केंदू पत्ता बेचते हैं. इस कार्य में उनका पूरा परिवार लगा रहता है.

ये लोग सुबह चार बजे घर से निकल जाते हैं और दोपहर 12 बजे तक केंदू पत्ता तोड़ कर वापस घर लौटते हैं. उसके बाद पत्ता का बंडल बना कर शाम को खलिहान जाकर ठेकेदारों को बेचते हैं. ठेकेदार (सरकारी दर) 90 रुपये सैकड़ा पत्ता खरीदते हैं. करीब 20 दिन तक बीड़ी पत्ता तोड़ने का काम चलता है.

प्रतिबंधित क्षेत्रों में भी होती है खरीदारी : वन्य प्राणी आश्रयणी में पत्ता तोड़ने पर प्रतिबंध होने के बाद भी बड़े पैमाने पर पत्ते की खरीदारी संवेदकों द्वारा की जाती है. हर वर्ष करीब एक करोड़ रुपये के पत्ते की खरीदारी होती है.

क्या कहते हैं पत्ता विक्रेता : पत्थलगड्डा प्रखंड के नावाडीह के सिदर राणा ने बताया कि पूरे परिवार जंगल से केंदू पत्ता तोड़ कर लाते हैं. हर रोज करीब चार से पांच सौ रुपये का पत्ता बेचते हैं. जिससे करीब चार माह का जीविका चलता है. लावालौंग प्रखंड के कनवातरी निवासी सोमरी देवी ने बताया कि केंदू पत्ता के मौसम आने का इंतजार साल भर से करते हैं. पत्ता बेच कर चार माह का अनाज, कपड़ा व अन्य समान की खरीदारी करते हैं.
– दीनबुधु –

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