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ओएनजीसी 23,000 करोड़ का निवेश करेगा

बोकारोः सीसीएल, बीसीसीएल, सेल, डीवीसी और इलेक्ट्रो स्टील के बाद अब बोकारो सर्कल में ओएनजीसी (ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन) अपना पांव पसारने जा रहा है. ओएनजीसी इसके लिए बोकारो के गोमिया, हजारीबाग के बड़कागांव, धनबाद के झरिया और पश्चिम बंगाल के रानीगंज में करीब 23,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगा. कंपनी इन इलाकों में […]

बोकारोः सीसीएल, बीसीसीएल, सेल, डीवीसी और इलेक्ट्रो स्टील के बाद अब बोकारो सर्कल में ओएनजीसी (ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन) अपना पांव पसारने जा रहा है. ओएनजीसी इसके लिए बोकारो के गोमिया, हजारीबाग के बड़कागांव, धनबाद के झरिया और पश्चिम बंगाल के रानीगंज में करीब 23,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगा.

कंपनी इन इलाकों में करीब 600 एकड़ जमीन भी अधिग्रहण करेगी. यह सारा निवेश और अधिग्रहण कोल बेड मिथेन गैस (सीबीएम) उत्पादन के लिए होगा. सीबीएम गैस बिजली बनाने के लिए कोयला से किफायती और प्रदूषण मुक्त होती है. कंपनी इन इलाकों में 383 कुआं खोदेगी. एक कुआं खोदने के लिए कंपनी को छह करोड़ रुपये और 1.5 एकड़ जमीन की जरूरत होती है. इस हिसाब से कंपनी को सभी कुओं पर करीब 23000 करोड़ का खर्च आयेगा और 600 एकड़ जमीन की जरूरत होगी.

इस साल ही शुरू हो जायेगी अधिग्रहण की प्रक्रिया : सीबीएम गैस उत्पादन के लिए भारत सरकार से लाइसेंस लेने की प्रक्रिया चल रही है. इसके लिए कमर्शियल लाइसेंस की जरूरत होती है, जो जल्द ही मिलने की उम्मीद है. लाइसेंस मिलते ही कंपनी जमीन अधिग्रहण का काम शुरू कर देगी. झरिया इलाके में सबसे अधिक जमीन अधिग्रहण होगा. यहीं पर सबसे ज्यादा कुआं बनना है. इसके बाद रानीगंज और बोकारो के गोमिया का नंबर है. फिलहाल कंपनी झरिया इलाके से ही सीबीएम गैस का उत्पादन कर रही है.

कंपनी के लिए यह इलाका इसलिए खास है, क्योंकि कंपनी ने इस इलाके से अभी तक का रिकॉर्ड उत्पादन किया है. कंपनी ने दो दिन पहले ही झरिया से 20026 एससीएम (स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर) गैस का उत्पादन किया है, जो कि इस सर्कल के लिए अब तक का रिकॉर्ड उत्पादन है. और यह उत्पादन सिर्फ पांच कुओं से किया गया है.

पांच साल में बदल जायेगी इन इलाकों की तसवीर
जैसा कि अब तक रिकॉर्ड उत्पादन कंपनी ने किया है. अगर ऐसा ही काम सभी मौजूदा और पाइपलाइन के कुओं से कंपनी करा पाती है, तो कंपनी का उत्पादन प्रतिदिन 400 कुओं से करीब 1600000 एससीएम हो जायेगा. यह आंकड़ा अपने आप में काफी बड़ा है. मुनाफा बढ़ते ही कंपनी सीएसआर फंड से इन इलाकों में विकास का काम शुरू कर देगी. कंपनी का कहना है कि फिलवक्त मुनाफा न होते हुए भी इस सर्कल में कंपनी एक करोड़ रुपये सीएसआर मद से खर्च कर रही है. अभी कंपनी का सालाना खर्च इस सर्कल में 100 करोड़ का है. इसमें पचास करोड़ सिर्फ मैनपावर पर खर्च होता है.

कंपनी हाल में ही 85000 रुपये खर्च कर गुमला के जितेंद्र उरांव को रिंग बॉल के अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए मॉरिशश भेज रही है. बोकारो के अपने सीएसआर क्षेत्र में भी कंपनी काफी ध्यान दे रही है. पर्वतपुर के पास तीन गांव को गोद ले रखा है तो गोमिया में प्रति वर्ष जरूरतमंद सीनियर्स सिटीजन के इलाज के पीछे 17 लाख खर्च कर रही है.

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