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मोहन की मुरली पर मुग्ध थे हंगल और कैफी

नागेश्वर गरीबी और बिखरते जीवन में भी अपनी कला को बचाये रखनेवाला ही सच्चा कला साधक होता है. ऐसे ही एक कलाकार हैं बोकारो जिला के गोमिया निवासी मोहन प्रसाद सोनी. स्वतंत्रता सेनानी रामदास चेला के पौत्र मोहन प्रसाद सोनी ने बांसुरी वादन में अपनी अलग पहचान बनायी है. वर्ष 1983-84 में पटना में इप्टा […]

नागेश्वर
गरीबी और बिखरते जीवन में भी अपनी कला को बचाये रखनेवाला ही सच्चा कला साधक होता है. ऐसे ही एक कलाकार हैं बोकारो जिला के गोमिया निवासी मोहन प्रसाद सोनी.
स्वतंत्रता सेनानी रामदास चेला के पौत्र मोहन प्रसाद सोनी ने बांसुरी वादन में अपनी अलग पहचान बनायी है. वर्ष 1983-84 में पटना में इप्टा के कार्यक्रम में रंगकर्म की दुनिया की नामी-गिरामी हस्तियों एके हंगल, कैफी आजमी, शौकत आजमी, वीणा पाठक के अलावा अन्य कलाकारों को अपनी बांसुरी की धुन पर मोहित कर लेते थे. दूरदर्शन पर कई बार प्रस्तुति दे चुके हैं.
मोहन प्रसाद सोनी कहते हैं कि जब तक सांस है, तब तक बांसुरी की आवाज उनके जेहन में गूंजती रहेगी. कहा कि गरीबी में जीवन को बचाने की जुगत के बीच संगीत साधना को कायम रखना मुश्किल हो गया है.
वह कहते हैं कि पुरस्कार का साधना से सीधा तो कोई सरोकार नहीं है, लेकिन प्रोत्साहन से संघर्ष के लिए आत्मबल मिलता है. उपेक्षा भी हो और सहायता भी न मिले, तो संघर्ष का मार्ग दुर्गम हो जाता है. उन्हें इस बात का अफसोस है कि वह बांसुरी के जादू को दूर तक नहीं बिखेर सके. फिर भी मोहन प्रसाद सोनी का रियाज जारी है. बांसुरी की टूटती हुई आवाज कलाकार की थकान, उसकी उदासीनता को छुपा नहीं पाती. बांसुरी बजाते हुए उन्हें सुनना एक त्रासद अनुभव है.
परंपरागत पेशा से नहीं चलता परिवार
सातवीं कक्षा तक पढ़े मोहन प्रसाद सोनी के लिए स्वर्णकार का परंपरागत पेशा भारी पड़ रहा है. नित नयी डिजाइनों की चमक-दमक से भरे आभूषण बाजार और स्पर्धा के इस दौर में व्यवसाय में बड़ी पूंजी के बिना टिकना बहुत मुश्किल है. ऐसे में उनके लिए विचित्र दुविधा है. 61 वर्षीय सोनी के लिए चार सदस्यों का परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. इस उम्र में वह न तो इस पेशे को छोड़ सकते हैं, न ही संगीत में उनके लिए कोई उम्मीद बची है. इस ऊहापोह में जीने का संकट लगातार जटिल होता जा रहा है.
…ताकि कला का सम्मान बचा रहे
श्री सोनी की बांसुरी के जादुई सुर ने गोमिया के विधायक योगेंद्र प्रसाद को भी मोहित किया था. विधायक ने तब कहा था कि ऐसे कलाकार को राज्य सरकार प्रोत्साहन करे, ताकि कला व संस्कृति का सम्मान बचा रहे.
इस बाबत विधायक श्री प्रसाद ने झारखंड के राजस्व व भूमि सुधार, पर्यटन कला संस्कृति खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के मंत्री अमर कुमार बाउरी से पत्राचार भी किया था. मंत्री ने 18 मई को विभागीय सचिव को आवश्यक कार्रवाई के लिए अनुशंसा की. श्री सोनी ने अपेक्षा व्यक्त की कि प्रोत्साहन व आर्थिक सहयोग से ग्रामीण कलाकारों को अपनी कला व संस्कृति को प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा.

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