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शराब से ज्यादा खतरनाक नशा टीवी में

बोकारो: बस्ते का बोझ लिये बच्चा स्कूल से घर पहुंचता है. स्कूल बैग कोने में रखता है और सीधे टीवी ऑन करता है. लेकिन यह क्या, बिजली नहीं. मुझे का चेहरा उतर जाता है. वह नाराज हो जाता है. बेटा अब खाना नहीं खायेगा. होमवर्क भी नहीं करेगा. किसी से बात भी नहीं करेगा. क्योंकि […]

बोकारो: बस्ते का बोझ लिये बच्चा स्कूल से घर पहुंचता है. स्कूल बैग कोने में रखता है और सीधे टीवी ऑन करता है. लेकिन यह क्या, बिजली नहीं. मुझे का चेहरा उतर जाता है.

वह नाराज हो जाता है. बेटा अब खाना नहीं खायेगा. होमवर्क भी नहीं करेगा. किसी से बात भी नहीं करेगा. क्योंकि टीवी नहीं चल रहा और वह अपने पसंद का काटरून नहीं देख पा रहा है. यह समस्या किसी एक घर की नहीं है बल्कि शहर के हर उस घर की है जिनके यहां छोटे-छोटे बच्चे हैं और घर में केबुल टीवी है.

बच्चों के जीवन में कार्टून चैनलों का इतना व्यापक असर है कि वे हर काम काटरून चैनल देखते हुए करते हैं. मम्मी-पापा, दादा-दादी, शिक्षक अब उतना प्रभाव नहीं डाल रहे जितना टीवी पर दिखाये जाने वाले छोटा भीम, टॉम एंड जेरी, सुपर मैन जैसे काटरून कैरेक्टर से वे प्रभावित हो रहे हैं. बच्चों की मानिसकता पर इसका बुरा असर पड़ रहा है.

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