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–विडंबना. अदालती डिग्री के बावजूद दावेदार को राहत नहीं मुआवजे को ले 17 वर्षों से चक्कर काट रहा सुभाष अतिक्रमण मुक्त करने के लिए सीओ व एनएच के अधिकारी दे रहे दबाव30 बोक 92 – दांतू में एनएच के किनारे अपने आवास के समक्ष दावेदार सुभाष चंद्र पाल व धर्मपत्नीविपिन मुखर्जी, जैनामोड़. राष्ट्रीय उच्च पथ 23 (अब 320) के चौड़ीकरण में अधिग्रहीत जमीन के दावेदार को अदालती डिग्री के बावजूद मुआवजा के लिए 17 सालों से चक्कर काटना पड़ रहा है. 1962 में तत्कालीन हजारीबाग जिला के रामगढ़ से गोला तक राष्ट्रीय उच्च पथ 23 (अब 320) के चौड़ीकरण में कसमार अंचल के अंतर्गत दांतू गांव के सुभाष चंद्र पाल की जमीन अधिग्रहीत की गयी थी. अंचल कसमार के सीओ व एनएच के अधिकारी उसे अतिक्रमण मानते हुए अतिक्रमणमुक्त कराने का दबाव बना रहे हैं. हालांकि रैयत को किसी तरह का नोटिस नहीं दिया गया है. लाभुकों की सूची में नाम नहीं : रैयत उच्च न्यायालय से मिली डिग्री के आधार पर उक्त जमीन पर अपने आवास में डंटे हुए है़ं पीड़ित सुभाष चंद्र पाल ने कहा कि 1962 में कमलापुर से दांती गांव के बीच 73 रैयतों से कुल 148़ 725 एकड़ जमीन अधिग्रहीत हुई थी. इस सूची में उनका नाम शामिल नहीं है. यह हजारीबाग के भू अर्जन पदाधिरी के रिकार्ड से भी पुष्ट है़ मुआवजे के लाभुकों की सूची में खाता सं. 32, प्लॉट सं. 439, रकवा आठ डिसमिल के बीच दो डिसमिल का मुआवजा का भुगतान लंबित रह जाने से न्यायालय का दरवाजा खटखटाया़ आला अधिकारियों से पत्राचार : उधर, हाल में रैयत द्वारा स्वेच्छा से आवास से नहीं हटाने पर सीओ अलका कुमारी ने 10 दिनोंं के अंदर अपना पक्ष रखने को कहा है. रैयत अपना पक्ष रखने की तैयारी में है़ श्री पाल ने न्यायालय की डिग्री का हवाला देते हुए हजारीबाग जिला के भू अर्जन पदाधिकारी, उपायुक्त समेत अन्य आला अधिकारियों से पत्राचार कर चुके हैं. बावजूद इसके आजतक किसी भी अधिकारी ने इस मामले को संज्ञान में नहीं लिया़ वरीय अधिवक्ता गुरुदास अड्डी ने कहा : अगर रैयत पर अतिक्रमण मुक्त करने के नाम पर अधिकारी दबाव बनाते हैं तो यह न्यायालय की अवमानना मानी जायेगी.

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