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महाकाव्य ही नहीं, मंत्र कोष भी है रामचरितमानस

बोकारो: रामचरितमानस केवल महाकाव्य ही नहीं, बल्कि एक ऐसा मंत्र कोष है, जिसके स्मरण मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. यह बातें बोकारो इस्पात संयंत्र के पूर्व महाप्रबंधक व भारती साहित्य परिषद के अध्यक्ष सुखनंदन सिंह सदय ने शनिवार को श्री सदय सरस्वती विद्या मंदिर 3 सी में आयोजित तुलसी जयंती व […]

बोकारो: रामचरितमानस केवल महाकाव्य ही नहीं, बल्कि एक ऐसा मंत्र कोष है, जिसके स्मरण मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. यह बातें बोकारो इस्पात संयंत्र के पूर्व महाप्रबंधक व भारती साहित्य परिषद के अध्यक्ष सुखनंदन सिंह सदय ने शनिवार को श्री सदय सरस्वती विद्या मंदिर 3 सी में आयोजित तुलसी जयंती व काव्य गोष्ठी में कही. कहा कि गोस्वामी तुलसी दास जी द्वारा रचित रामचरित मानस का मनन करने से रामराज कल्पना व सामाजिक समरसता सामने परिलक्षित होने लगता है. कार्यक्रम का आयोजन भारती साहित्य परिषद द्वारा किया गया.

परिषद के उपाध्यक्ष राज किशोर ओझा, संरक्षक उदय प्रताप सिंह, सचिव डॉ. नर नारायण तिवारी सहित नगर के जाने-माने साहित्यकार व विद्वान कवियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये. कहा कि आज इस महाकाव्य पर 200 से अधिक हिंदी व 20 से अधिक अंगरेजी में पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. आज के विद्वान इनकी एक-एक पंक्तियों पर डाक्टरेट जैसे बड़ी-बड़ी उपाधियां ले रहे हैं.

रामचरितमानस हमारे जीवन के हरेक मोड़ पर प्रासंगिक है. मौके पर प्राचार्य शिव कुमार सिंह, बुद्घिनाथ झा, अमीरी नाथ अमर, राजा राम शर्मा, डॉ. बिनोद कुमार तिवारी, डॉ. बलराम दुबे, हरेन्द्र नाथ चौबे, राम नारायण उपाध्याय, कमल कुमार सिंह, उषा वर्मा, भावना वर्मा, ज्योति वर्मा, पुरुषोत्तम पांडेय, कुणाल पंडित, संतोष सिंह व जितेन्द्र तिवारी उपस्थित. कार्यक्रम का संचालन नर नारायण तिवारी ने किया.

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