सत्र 2014-15 (जनवरी से दिसंबर 14 तक) में 17 हजार 65 लोगों की बलगम जांच के दौरान 2381 नये यक्ष्मा रोगियों की पहचान हुई है. इनका इलाज शुरू कर दिया गया है. पिछले सत्र 2013-14 में लगभग 2600 नये यक्ष्मा मरीजों की पहचान हुई थी. दवा शुरू होने के बाद 125 लोगों ने बीच में ही दवा छोड़ दी. 30 की मौत हो गयी, जबकि 63 (डॉट्स प्लस की दवा ले रहे हैं) गंभीर रूप से पीड़ित हैं. अन्य की दवा चल रही है, सभी खतरे से बाहर हैं.
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विश्व यक्ष्मा दिवस: बीच में दवा न छोड़ें मरीज
बोकारो: बोकारो में हर वर्ष यक्ष्मा रोगियों की जो संख्या जांच में मिल रही है, वह चौकाने वाली है. हर वर्ष लगभग ढाई हजार नये मरीज की पहचान की जाती है. इसमें पांच प्रतिशत रोगी ऐसे होते हैं, जो दवा (डॉट्स) बीच में ही छोड़ देते हैं. विभाग पुन: ऐसे मरीजों की खोज (डॉट्स प्रोवाइडर […]
बोकारो: बोकारो में हर वर्ष यक्ष्मा रोगियों की जो संख्या जांच में मिल रही है, वह चौकाने वाली है. हर वर्ष लगभग ढाई हजार नये मरीज की पहचान की जाती है. इसमें पांच प्रतिशत रोगी ऐसे होते हैं, जो दवा (डॉट्स) बीच में ही छोड़ देते हैं. विभाग पुन: ऐसे मरीजों की खोज (डॉट्स प्रोवाइडर के माध्यम से) कर दवा शुरू करता है.
जांच के क्रम में अनुपस्थिति से पकड़ में आते हैं दवा छोड़ने वाले रोगी : विभाग की ओर से सभी मरीजों की बलगम जांच लगातार की जाती है. ऐसे समय में जो अनुपस्थित पाये जाते हैं. वह पकड़ में आ जाते हैं कि दवा बीच में छोड़ दी गयी है. उसे विभाग अपने पास रजिस्टर में अंकित निवास स्थल व मोबाइल नंबर से ढूंढ़ते हैं. डॉट्स प्रोवाइडर के माध्यम से उन तक पहुंचते हैं. उनकी काउंसेलिंग कर पुन: दवा की शुरुआत कराते हैं.
17 हजार 65 लोगों की बलगम जांच पूरी : जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ एके सिंह बताते हैं कि दवा छोड़ने वाले रोगी ही नये रोगी बनने के मुख्य कारण हैं. पुराने मरीज के खांसने व छीकने के दौरान जो नये लोग संपर्क में आते हैं, वे यक्ष्मा रोगी बन जाते हैं. उनसे पुन: नये रोगियों के बढ़ने की संभावना बनी रहती है. कई लोग शर्म के कारण टीबी का इलाज कराने अस्पतालों में नहीं जा पाते हैं. उन्हें लगता है कि वह एक भयंकर बीमारी की चपेट में आ गये हैं. साल भर में 17 हजार 65 लोगों का बलगम जांच की गयी है. बलगम जांच में विभाग शत प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर चुका है.
केस स्टडी एक
चास प्रखंड के पुपुनकी गांव की कुसमी देवी व गोमिया प्रखंड के गुलाम कादीर डॉट्स प्लस की श्रेणी में है. इन्होंने दवा बीच में ही छोड़ दी थी. विभाग ने ढूंढ निकाला. इनकी काउंसेलिंग की और दवा की पुन: शुरुआत की.
केस स्टडी दो
चास प्रखंड के बाउरी मुहल्ला निवासी भोला स्वर्णकार व तेलीडीह चास निवासी दुर्गा चरण दास डॉट्स (प्रथम चरण) की श्रेणी में है. इन्होंने दवा छोड़ दी थी. इनकी काउंसेलिंग कर पुन: दवा की शुरुआत की गयी.
टीबी होने की दिशा में डाट्स सेंटर पर मरीज को मुफ्त दवा उपलब्ध करायी जाती है. टीबी से ग्रसित मरीजों को चिकित्सकों के सलाह के अनुसार दवा का उपयोग करना चाहिए. यह बीमारी ‘माइकोबैक्ट्रीयम ट्यूबक्यूलेसिस’ नामक बैक्टीरिया के कारण फैलता है.
डॉ एके सिंह, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी, बोकारो
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