बोकारो : नाग पंचमी को शास्त्रों में नागानामान्दकारी तिथि कहा गया है. मतलब ऐसी तिथि जो नागों को आनंदित कर देती है. श्रावण शुक्ल पंचमी को प्रतिवर्ष नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है. इस बार नाग पंचमी व्रत 11 अगस्त को है. नाग पंचमी में नागों की पूजा–उपासना की जाती है. व्रत रखा जाता है.
इस दिन नाग देवता को दूध से स्नान कराना व दूध अर्पित करने का विशेष महत्व है. सर्प भय से मुक्ति के लिए नाग पंचमी के दिन सर्पो की अधिष्ठात्री मनसा देवी की स्तुति की जाती है.
नाग पंचमी को उपवास कर नागों की पूजा करनी चाहिए. पृथ्वी पर लकड़ी या मिट्टी से नागों की आकृति बनानी चाहिए. साथ ही करवीर, कमल, चमेली, पुष्प गंध, धूप और विविध नैवेद्य से पूजा–अर्चना करनी चाहिए.
ब्राह्मण को घी, खीर, लड्डू खिलाना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार 12 महीने पंचमी को व्रत करने से सर्प भय व शाप से मुक्ति मिलती है. 12 माह में 12 नागों अनंत, बासुकी, शंख, पद्म, कंबल, कर्कोटक, अश्वतर, घृतराष्ट्र, शंखपाल, कालिया, तक्षक और पिंगल की क्रमश: पूजा करने का विधान है.