28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कोयला उद्योग में पांच दिवसीय हड़ताल आज से

बेरमो: कोयला उद्योग में एक बार फिर हड़ताल का बिगुल बज गया है. इस बार हड़ताल एक-दो दिनों की नहीं, बल्कि पूरे पांच दिनों के लिए है. छह जनवरी से यह हड़ताल शुरू होकर 10 जनवरी तक जारी रहेगी. मालूम हो कि कोयला उद्योग में कार्यरत चार मान्यता प्राप्त श्रमिक संगठन इंटक, एटक, एचएमएस व […]

बेरमो: कोयला उद्योग में एक बार फिर हड़ताल का बिगुल बज गया है. इस बार हड़ताल एक-दो दिनों की नहीं, बल्कि पूरे पांच दिनों के लिए है. छह जनवरी से यह हड़ताल शुरू होकर 10 जनवरी तक जारी रहेगी. मालूम हो कि कोयला उद्योग में कार्यरत चार मान्यता प्राप्त श्रमिक संगठन इंटक, एटक, एचएमएस व बीएमएस ने हड़ताल की घोषणा की है, जबकि सीटू ने इस हड़ताल को समर्थन देने का एलान किया है. अन्य कई यूनियनों ने भी हड़ताल को समर्थन देने का एलान किया है.

इधर हड़ताल को सफल बनाने को लेकर मजदूर संगठनों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. आम सभा, कोलियरियों में पिट मीटिंग व गेट मीटिंग कर कोयला मजदूरों को जागृत किया गया है. उल्लेखनीय है कि मजदूर संगठनों के तल्ख तेवर को देखते हुए कोयला मंत्रलय की ओर से तीन जनवरी को दिल्ली में सभी ट्रेड यूनियन के नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया गया, लेकिन किसी ने वार्ता में हिस्सा नहीं लिया था.

इन मांगों के समर्थन में एकजुट हुए हैं मजदूर संगठन

कोयला उद्योग का निजीकरण रोकने, कोल इंडिया के विनिवेश एवं पुनर्गठन पर रोक लगाने, बड़े पैमाने पर जारी आउटसोर्सिग को बंद करने, कार्यरत सभी ठेका मजदूरों को स्थायी करने, बहाली पर रोक हटाने तथा खाली पदों को भरने, शारीरिक रूप से लाचार मजदूरों के बदले उनके आश्रितों को बहाल करने, वर्ष 2014 से लागू भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास अधिनियम 2013 को सख्ती से लागू करने सहित कई अन्य मांगों के समर्थन में कोल कर्मी हड़ताल पर रहेंगे.

2013 में हुआ था दो दिवसीय हड़ताल

वर्ष 2013 में 21-22 फरवरी को पूरे देश से कई मजदूर संगठनों ने हड़ताल किया था. इसके बाद निजीकरण व विनिवेश के खिलाफ कोयला उद्योग में कार्यरत पांचों यूनियनों ने कोलकाता में 24 जून 2014 को संयुक्त कन्वेंशन किया था तथा सितंबर 2014 में कोल इंडिया में तीन दिवसीय हड़ताल की घोषणा की. बाद में कोयला मंत्रलय व कोल इंडिया प्रबंधन के साथ वार्ता के बाद हड़ताल को वापस ले लिया गया था. कोयला मंत्री ने जब पुन: दस फीसदी विनिवेश की घोषणा की तो ट्रेड यूनियनों ने इसका विरोध शुरू किया. इसके बाद घटा कर पांच फीसदी विनिवेश की बात कही गयी थी.

ऐतिहासिक होगी हड़ताल : एटक

यूसीडब्ल्यूयू के महामंत्री लखनलाल महतो कहते हैं कि यह लड़ाई मजदूरों व ट्रेड यूनियनों के अस्तित्व की लड़ाई है. कहा : ट्रेड यूनियन रहेंगे, तभी मजदूर भी रह सकेंगे. आज कोल इंडिया ही एक ऐसा पब्लिक सेक्टर है, जिसमें डेथ केस में 9:3:0 के तहत नौकरी, मेडिकल अनफिट में नौकरी, छह दिन की हाजिरी में सात दिन का वेतन तथा न्यूनतम बेसिक 15712 रुपया दिया जाता है. कहा कि यह हड़ताल ऐतिहासिक होगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें