!!अनुप्रिया अनंत!!
फिल्म रिव्यू : लुटेरा
कलाकार : रणवीर सिंह, सोनाक्षी सिन्हा
निर्देशक : विक्रमादित्य मोटवाणो
रेटिंग : 3 स्टार
फिल्म खत्म होने के बाद थियेटर के बाहर यह चर्चा हो रही थी कि फिल्म की कहानी तो अच्छी है. लेकिन बहुत स्लो लव स्टोरी है. इस पर एक महिला पत्रकार ने सटीक जवाब दिया. 1950 के दशक की कहानी है तो जाहिर सी बात है. स्लो ही होगी. वर्तमान दौर की तरह उसका पेस फास्ट तो नहीं हो सकता.
दरअसल, यही हकीकत भी है. लुटेरा वर्तमान दौर की प्रेम कहानी नहीं. और शायद ऐसे कई दर्शक जिन्हें फास्ट लाइफ और फटाफट होनेवाले प्रेम पर यकीन हैं. उन्हें लुटेरा एक बोरिंग प्रेम कहानी लग सकती है. हमारे जेनरेशन ने 50 के दशक का दौर नहीं देखा. तो शायद हम उस दौर की कहानी, उस दौर के माहौल को समझ न पायें. लेकिन निर्देशक विक्रमादित्य ने एक साहसी कदम उठाया है और आम तौर पर दिखाई जानेवाली प्रेम कहानियों से जुदा वे हमें 50 के दौर में ले जाते हैं. जहां एक जमीनदार की बेटी है जो एक अजनबी से प्यार कर बैठती है. फिल्म में जमीनदारी प्रथा और उस वक्त के हालात को भी पृष्ठभूमि में रख कर प्रेम कहानी के साथ साथ जमीनदारी प्रथा पर भी थोड़ा प्रकाश डालने की कोशिश की गयी है. फिल्म के एक दृश्य में जमीनदार चौधरी कहते हैं कि अंग्रेजों ने भारत को आजाद किया और हमें लूट लिया. आमतौर पर लोगों के जेहन में यही बात है कि जमीनदारों ने सिर्फ लूटा है.
लेकिन जमीनदारों ने आजाद हिंद फौज को भी पैसे दिये थे. यह बात विक्रम ने यूं ही नहीं कही है. वे इन विषयों की जानकारी निश्चित तौर पर रखते हैं. एक प्रेमिका है पाखी जो वरुण के प्यार में पागल है. वरुण उसे धोखा दे जाता है और वह अपनी जिंदगी को खत्म करना चाहती है. बंगाल में शुरू हुई यह प्रेम कहानी डलहौजी में अपनी शक्ल लेती है. पाखी अपने कमरे के सामने स्थित पेड़ की पत्तियों को देखती है और अपनी जिंदगी उस आखिरी पत्ते के नाम कर देती है. और वही आखिरी पत्ता कैसे प्रेम की निशानी बनता है. फिल्म की कहानी इसी पर आधारित है. वाकई सोनाक्षी सिन्हा के लिए यह फिल्म महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुई. उनके अंदर की एक चंचल नायिका, प्रेमिका, गुस्सैल लड़की, अपने पिता को खो चुकी बेटी, व एक दुखी प्रेमिका का दर्द.
सबकुछ उन्होंने बखूबी निभाया है. फिल्म में सबसे अधिक शेड्स उनके किरदार में ही नजर आये हैं और यह फिल्म उनके अभिनय को एक कदम आगे बढ़ाती है. फिल्म में वह बिल्कुल मेकअप में नजर नहीं आयी हैं. विक्रम ने दृश्यों का, किरदारों का, प्रॉप्स का व माहौल का चुनाव भी बखूबी से किया है. रणवीर सिंह ने लुटेरा के किरदार में खुद को ढाला है. लेकिन सोनाक्षी के अभिनय के सामने वह कमजोर नजर आते हैं. रणवीर सोनाक्षी की प्रेम कहानी खूब फबी है परदे पर. फिल्म के गाने बेहतरीन हैं. कहा जा सकता है कि उड़ान के बाद विक्रमादित्य ने एक और मास्टरपीस फिल्म दी है.