बोकारो : दोपहर होते ही बोकारो की सड़क सुनसान हो जा रही है. गरमी से बचने के लिए लड़कियां तालीबानी स्टाइल की लिबास पहनने को विवश हैं. बेल, खीरा, ईख, सत्तू और आम की चांदी हो गयी है. चश्मे की दुकान में खूब इंक्वायरी हो रही है.
घर से बाहर तो गरमी से राहत मिलने से रही, हां घर में आम गरमी से बच सकते हैं. वह भी बिजली रही तो. बिजली ने भी लोगों को हलकान कर रखा है. बिजली आंखमिचौनी खेलती भी तो चलता, पर यहां बिजली जा रही है, तो फिर आने में घंटों लगा रही है.
उन इलाकों को छोड़ दिया जाये, जहां लोकउपक्रम कंपनियां है, तो बाकी चास शहर और ग्रामीण इलाकों में बिजली की समस्या गरमी आते ही नासूर बन गयी है. बोकारो के चास, चंदनकियारी, कसमार, जरीडीह, गोमिया और पेटरवार में बिजली दिन भर में केवल सात-आठ घंटे ही रह पा रही है. जबकि चास शहरी क्षेत्र, बारी को-ऑपरेटिव, लोहांचल और दूसरे शहरी क्षेत्रों में बिजली 12-14 घंटे ही मिल रही है.