पहली बार आइआरएस ग्रेड बी श्रेणी के इस्पात का उत्पादन किया गया
बोकारो :इस्पात उद्योग इस समय फिर एक कठिन दौर से गुजर रहा है. इस्पात की कीमतों में तेजी से गिरावट व विदेशों से सस्ते इस्पात की डंपिंग का प्रतिकूल असर सभी घरेलू इस्पात निर्माताओं पर देखी जा सकती है. इस चुनौती से निबटने के लिए बोकारो स्टील प्लांट ने लागत नियंत्रण, परिचालन मानकों में अधिक दक्षता व बेहतर उत्पादकता की युक्ति को आत्मसात किया है. इस कारण वित्तीय वर्ष 2018-19 सेल व बोकारो स्टील प्लांट के लिए टर्न-अराउंड का वर्ष रहा.
बाजार की डिमांड के अनुरूप स्टील : बोकारो स्टील प्लांट की स्थापना 10 मिलियन टन के लिए हुई थी. लेकिन, प्लांट का विस्तारीकरण नहीं हो पाया. फिलहाल, 4.7 मिलियन टन का प्लांट है. दूसरी ओर प्लांट का आधुनिकीकरण हुआ. इस कारण मैन पावर कम होता चला गया. लेकिन, उत्पादन के क्षेत्र में रिकाॅर्ड पर रिकाॅर्ड बनता चला गया. मतलब, कम मैन पावर में बेहतर उत्पादन हो रहा है. आधुनिकीकरण के कारण उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ी. बाजार की डिमांड के अनुरूप स्टील का उत्पादन हो रहा है. खर्च में कटौती की गयी.
कई नये मासिक व वार्षिक रिकॉर्ड बने : वित्तीय वर्ष 2018-19 में उत्पादन में कई नये मासिक व वार्षिक रिकॉर्ड बने. सेलेबल स्टील व स्पेशल स्टील के साथ-साथ सभी प्रमुख इकाइयों के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई. एसएमएस-2 से क्रूड स्टील उत्पादन सहित एचआर क्वाइल, सीआर क्वाइल फॉर सेल व सीआर सेलेबल के उत्पादन में पिछले साल नये वार्षिक रिकॉर्ड बने. 2016-17 की तुलना में 2018-19 में हॉट मेटल के उत्पादन में 23 प्रतिशत, क्रूड स्टील में 21.5 प्रतिशत व विक्रेय इस्पात में 7.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
ग्रेन्युलेटेड स्लैग डिस्पैच में वार्षिक रिकॉर्ड : कोक रेट, सीडीआइ रेट, विशिष्ट ऊर्जा खपत व पानी की खपत आदि टेक्नो -इकोनॉमिक पैरामीटर्स में भी रिकॉर्ड दर्ज किया गया. सेलेबल स्टील के डायरेक्ट डिस्पैच व ग्रेन्युलेटेड स्लैग के डिस्पैच में नये वार्षिक रिकॉर्ड बने. इसके अलावा 2018-19 में कोल- केमिकल्स के विक्रय में वार्षिक रिकॉर्ड के साथ ही मार्च 2019 में सेलेबल स्टील का अब तक का सर्वाधिक रोड डिस्पैच किया गया. उत्पादन में उत्कृष्टता के साथ ही कुछ अहम परियोजनाओं को आकार देने की दिशा में भी प्रगति हुई.