जैनामोड़: रैयतों ने पिछरी खदान के चालू होने पर कड़ा एतराज जताते हुए बगैर भूमि अधिग्रहण के नाजायज ढंग से खदान चालू करने का आरोप लगाया है. विस्थापित रैयतों ने बेरमो अनुमंडल तथा पेटरवार सीओ से न्याय दिलाने की गुहार की है. उन्होंने इस संबंध में दोनों अधिकारियों को एक पत्र लिखा है.
क्या है पत्र का मजमून : पिछरी मौजा के जिस भूखंड पर सालों पहले खदान चालू की गयी थी, उस पर जमीन पर 150 से 200 रैयत खेती कर रहे थे. उस वक्त प्रबंधन ने आश्वासन दिया था कि भविष्य में जमीन का अधिग्रहण कर नियमानुसार खदान चलेगी़ इस आश्वासन के बाद स्थानीय लोगों ने खदान को चालू करने पर सहमति जतायी़ आज तक उस दिशा में कोई पहल नही हुई. बीच-बीच में दो-चार वर्ष खदान को चालू किया गया. पहले तो प्रबंधन अपने हिस्से में 400 एकड़ जमीन होने का दावा करता था. अब यह दावा घटकर मात्र 34 एकड़ के करीब पहुंच गया है़ पहले तो खदान राष्ट्रीयकरण के पूर्व कंपनी के रूप में चली़ 1971 में राष्ट्रीयकरण के बाद खदान संचालन के तौर-तरिके बदल जाने के बाद रैयतों को नियोजन, मुआवजा व अन्य सुविधाएं मिलने की आस जगी. लेकिन हालत वही बनी रही. आज भी रैयत के दर्द यथावत रह गया है़ पत्र में यह भी बताया गया है कि फिलहाल प्रबंधन खदान को पुन: चालू करने के मूड में है़ रैयतों के तेवर तल्ख हैं़
आरपार की लड़ाई के मूड में : भूमि अधिग्रहण की मांग पर अपनी फरियाद लेकर अंचल से जिला अधिकारी तक पहुंच रहे हैं. रैयत निर्मल चौधरी, मनोज कुमार मिश्र, जगेश्वर दिगार, दिलचंद्र महतो आदि का कहना है भूमि अधिग्रहण के पूर्व खदान को अगर चालू किया गया तो प्रबंधन से आरपार की लड़ाई होगी़ कथित नेताओं के शह पर रैयतों को जमीन से बेदखल कर खदान किसी कीमत चालू करने दी जायेगी़ कहा : सीसीएल प्रबंधन उनकी मांगों व पहले के आश्वासनों पर अमल कऱे.